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उ भोजपुरिया बात कहाँ बा...

उ भोजपुरिया बात कहाँ बा...

उ भोजपुरिया बात कहाँ बा...

पाहून के सत्कार कहाँ बा,
खान-पान के उ रिवाज कहाँ बा।

ठहाका भरल दलान कहाँ बा,
चौक-चौराहा, बधार कहाँ बा।
बाजत झाल-मृदंग कहाँ बा,
फागुन में उमंग कहाँ बा।
होलरी में हुड़दंग कहाँ बा,
फगुआ में उ रंग कहाँ बा।
उ भोजपुरिया बात कहाँ बा...

चैता गावत उ टोल कहाँ बा,
पाहुर के उ रिवाज कहाँ बा।

जामुन-आम के पेंड़ कहाँ बा,
दोल्हा-पाती के खेल कहाँ बा।
बाग़-बगीचा में मचान कहाँ बा,
लिट्टी-चोखा में स्वाद कहाँ बा।
उ भोजपुरिया बात कहाँ बा...

सखी-बहिन में उ दुलार कहाँ बा,
कनियाँ-पुतरा के खेल कहाँ बा।
चोर-सिपाही, आँख-मिचोली,
डोली अउर कहार कहाँ बा।
रेंहट के आवाज कहाँ बा,
पोखर अउर ईनार कहाँ बा।
उ भोजपुरिया बात कहाँ बा...

पवरिया के नाच कहाँ बा,
ढेंका, ओखर-जांत कहाँ बा।
नट-नटिन के खेल कहाँ बा,
भाई-भाई में मेल कहाँ बा।
अन्न भरल खलिहान कहाँ बा,
कउड़ा तापत परिवार कहाँ बा।
गोबर लिपात उ दुआर कहाँ बा,
पहिले वाला उ गाँव कहाँ बा।
उ भोजपुरिया बात कहाँ बा...

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