
झोपड़ी में रहने को विवश आदिम जनजाति के लोग, सरकार की योजना हो रही विफल
झोपड़ी में रहने को विवश आदिम जनजाति के लोग, सरकार की योजना हो रही विफल
जरमुंडी संवाददाता ।
जरमुंडी प्रखंड अंतर्गत बरमसिया पंचायत के महरा पहाड़िया टोला के लोग इस कड़ाके की ठंड भरे मौसम में भी झोपड़ी जैसे आवास बनाकर रहने को विवश है। आदिम जनजाति के लोगों को मूलभूत सुविधाएं की काफी कमी है। ग्रामीण रामेश्वर पूजहर, एतवारी पूजहर, बेली पूजहर आदि ने बताया कि वर्षों पूर्व इंदिरा आवास मिला था जिसे ठेकेदार के द्वारा बनवाया गया था जैसा तैसा बनाकर हम लोगों को घर दे दिया गया था जो गिरकर ध्वस्त हो चुका है। इन आवासों की मरम्मती नहीं कराया गया जिसके कारण सभी इंदिरा आवास जर्जर हो गया है जो रहने के लायक नहीं है। वही चलने फिरने में असमर्थ 72 वर्ष के अंदू पुजहर ने बताया कि उसे आज तक वृद्धा पेंशन का लाभ नहीं मिल सका है। कई बार हमने लिख कर सभी को दिया लेकिन किसी ने भी मेरी मदद नहीं की और अब तो मैं चलने फिरने के लायक भी नहीं रहा अब तो इंतजार है प्रभु कब हमें अपने दरबार में बुलाते हैं लेकिन यह इच्छा रह ही जाएगी मेरे पास कि मैं पहाड़िया जाति में जन्म लेने के बाद भी सरकार की सुविधाओं से वंचित रहा। हम सभी मकान मे प्लास्टिक लगाकर किसी तरह इस ठंड भरी पूस की रात में गुजारा कर रहे हैं। इसी टोला के एक पहाड़िया ग्रामीण बलराम पूजहर पिता शाम लाल पुजहर कि पत्नी का कहना है कि हरिनारायण राय विधायक के समय इंदिरा आवास मिला था जो दो वर्ष पहले गिर गया और गरीबी के कारण इस गिरे हुए मकान को फिर से बनाने में हम लोग सक्षम नहीं हैं। जिसके कारण खजूर के पत्ते और पुआल से एक छोटा सा झोपड़ी बनाकर चार बच्चों के साथ इस कड़ाके की ठंड में भी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार के द्वारा यह कहना हर आदमी को आवास योजना देने की बात कहां तक सही साबित होती है क्योंकि इन पहाड़िया लोगों की दशा को देख कर तो ऐसा कहीं से भी प्रतीत नहीं होता है की सरकार को इसकी कोई चिंता भी है इसलिए इसे आप हवा-हवाई भी कह सकते हैं।
0 Response to "झोपड़ी में रहने को विवश आदिम जनजाति के लोग, सरकार की योजना हो रही विफल"
एक टिप्पणी भेजें