
मानव श्रृंखला- एक दिखावा
विजय कुमार शर्मा बगहा प,च,बिहार
बिहार सरकार को हर साल अरबों रूपया बर्बाद करके मानव श्रृंखला बनवाने का क्या तुक है? क्या बिना मानव श्रृंखला बनाए इन समाजिक कुरीतियों को खतम नहीं किया जा सकता है? राजाराम मोहन राय ने पुनर्विवाह और सती प्रथा जैसे मुद्दों पर कौन सी मानव श्रृंखला बनवाई थी? स्वंय की महत्वकांक्षा को पुरा करने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को ठिठुरती ठंड में सड़कों पर खड़ा करना कहाँ का न्याय है? एक व्यक्ति की महत्वकांक्षा को पुरा करने के लिए दो-चार बच्चों की आहुति भी दे दी जाती है। मानव श्रृंखला की निर्विघ्न समापन हेतु शिक्षकों एवं तमाम कर्मचारियों को 1 माह से इस काम में लगा दिया जाता है। शिक्षक विद्यालयों में शिक्षण कार्य छोड़ मानव श्रृंखला की तैयारी में जुट जाते हैं। क्या उस वक्त गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा बाधित नहीं होती है? बच्चों के भविष्य के साथ हो रहे इस खिलवाड़ का जिम्मेवार कौन है? कर्मचारियों को वेतन, हॉस्पीटल में दवा आदि के लिए राज्य कोष में पैसा नहीं है परंतु मानव श्रृंखला के लिए पैसा है।
क्या यह मानव श्रृंखला सिर्फ पब्लिसीटी स्टंट नहीं है? ऐसा नहीं लगता कि मानव श्रृंखला के बहाने सरकारी कोष का दुरूपयोग कर व्यक्तिगत छवि चमकाई जा रही है
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