
मिलावट से खेल से गुलजार हो रहा होली का त्योहार
विजय कुमार शर्मा की कलम से
होली का पर्व नजदीक आते ही मिलावट का कारोबार गुलजार हो गया है। मिठाई, खोया, घी, दूध आदि में मिलावट होने के साथ ही रंगों में भी मिलावट हो रही है। होली का जश्न यह मिलावटी खाद्य पदार्थ एवं रंग गम में बदल सकते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि रंगों में मिलाए जा रहे तेजाब मिश्रित पदार्थ कई चर्म रोग को बढ़ावा देते हैं। साथ ही इनके आंखों में जाने पर रोशनी जाने तक का खतरा रहता है। वहीं मिलावटी खाद्य पदार्थ यकृत को क्षतिग्रस्त कर सकता है। होली के त्योहार पर सबसे ज्यादा दिक्कत खोवा का है। खोवा की एकाएक डिमांड होने की वजह से इसमें सर्वाधिक मिलावट हो रही है। खोवा मंडियों में मिलावटी खोवा आने लगा है। प्रशासन की लापरवाही से मिलावटी खोवा धड़ल्ले से बिक रहा है। इतना ही नहीं अभी तक खाद्य विभाग ने खोवा मंडी में छापेमारी शुरू नहीं की है। इसका फायदा उठाते हुए दुकानदार त्योहार पर मुनाफा कमाने में लगे हैं। इस कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो एक किलो मावा पाउडर पानी में डालकर उबाला जाता है। धीरे-धीरे यह टाइट होने लगता है। खुशबू के लिए इसमें इत्र डाल दिया जाता है, जिससे खोवा जैसी खुशबू आने लगती है। एक किलो मावा पाउडर में डेढ़ किलो खोवा तैयार होता है। इसके साथ ही खोवा में शकरकंदी भी मिलाई जाती है। डेढ़ किलो खोवा बनाने में करीब 115 रुपये की लागत आती है। मावा पाउडर 90 रुपये प्रति किलो पड़ता है। बाजार में मौजूदा समय में खोवा 150 से 180 रुपये प्रति किलो बिक रहा है , इतना ही नही बाजारों, कस्बे सहित शहर में भी धड़ल्ले से सिंथेटिक दूध भी बिक रहा है। इसके पीछे बड़ा कारण दूध की अनुपलब्धता बताई जा रही है। आमतौर पर मिलावटी दूध में रिफाइंड तेल, पोस्टल कलर, प्लास्टिक पेपर यानी सोख्ता, डिटरजेंट, झाग के लिए साबुन का इस्तेमाल सिंथेटिक दूध तैयार करते हैं। भैंस व गाय के दूध में फैट निकलवाने के बाद इसमें यूरिया, कास्टिक सोडा, वाशिंग पाउडर व व्हाइटनर मिलाते हैं। इन रसायनिक तत्वाें से यह दूध खतरनाक साबित होता है।
ऐसे करें मिलावट की पहचान-
मिलावटी खोवा ज्यादा भुनने पर काला पड़ने लगता है और असली खोवा ज्यादा भुनने पर लाल हो जाता है।-थोड़ा सा मिलावटी खोया हथेली में रखकर उसमें आयोडीन मिलाकर रगड़ें । खोया काला हो जाये तो समझें यह मिलावटी खोया है। - मिलावटी खोवा को हथेली पर रगड़ें तो चिकनाहट के साथ ही यूरिया की गंध आती है। - मिलावटी दूध का स्वाद कड़वा होता है। यूरिया मिले होने की वजह से हल्का पीलापन आ जाता है। हाथ के बीच रखकर रगड़ें तो चिकनाहट महसूस होती है ! मिलावटखोरी के दौर में रंग और गुलाल भी अछूते नहीं रह गए हैं। होली पर मिलावटी रंग और गुलाल खूब बिकना शुरू हो गया है। मिलावटी रंगों से लोगों की त्वचा को नुकसान होता है। रंगों में जहां बालू, मिट्टी, खड़िया फॉर्मेलिा जाता है। वहीं गुलाल में मैदा, सेलकड़ी आदि मिलाई जाती है। होली पर मिलावटी रंग और गुलाल से लोगों को त्वचा संबंधी कई रोगों से जूझना पड़ सकता है। रंग के गीले पाउच भी बाजार में खूब बिक रहे हैं, लेकिन ये पाउच तेजाबी पानी और रंग का मिश्रण बताए जाते हैं। ऐसे में सूखे रंग की अपेक्षा कई गुना अधिक हानिकारक होते हैं। गुलाल बनाने के लिए कुछ निर्माता डीजल, इंजन ऑयल, कॉपर सल्फेट और सीसे का पाउडर आदि का इस्तेमाल करते हैं। इससे लोगों को चक्कर आता है, सिरदर्द और सांस की तकलीफ होने लगती है। सूखे गुलाल में एस्बेस्टस या सिलिका मिलाई जाती है। इससे अस्थमा, त्वचा में संक्रमण और आंखों में जलन की शिकायत हो सकती है। चमकीले गुलाल में एल्युमिनियम ब्रोमाइड मिलाया जाता है, जिससे कैंसर का खतरा रहता है। लाल गुलाल में मिला होने वाला मरकरी सल्फाइट भी त्वचा कैंसर को बढ़ावा देता है। इसी तरह नीला गुलाल प्रूशियन ब्लू होता है जो त्वचा में एलर्जी और संक्रमण पैदा कर सकता है। रंगों के मूल्यस्प्रे रंग- 70 से 80 रुपये डिब्बागुलाल- 120 रुपये प्रति किलो , रंग- 1100 रुपये प्रति किलो ! सीएचसी बदलापुर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.विकास सिंह बताते हैं कि दूध संपूर्ण आहार होता है, लेकिन मिलावटी दूध में विटामिन, कैल्शियम, प्रोटीन कुछ भी नहीं होता उल्टे इससे कई रोग मिलते हैं। यूरिया, डिटर्जेट और केमिकल आदि से तैयार दूध, खोवा एवं मिठाइयां खाने से स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव डालता है। इसके प्रयोग से किडनी, लीवर और हार्मोन्स आदि को नुकसान हो सकता है। सी एच सी बदलापुर के अस्थिरोग विशेषज्ञ डा० अतुल विश्वकर्मा ने बताया कि मिलावटी खाद्य पदार्थो से शरीर के महत्वपूर्ण अंगो के ऊतकों और कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है, हड्डियों तक की कोशिकाओं को डैमेज कर सकता है तथा ब्रेन का फंक्शन भी प्रभावित हो सकता है सियासी दबाव मे छापेमारी अभियान महज औपचारिकता बन कर रह जाता है !
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