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पैसे के लिए पोस्ते की खेत में स्कूली छात्र कर रहे कार्य

पैसे के लिए पोस्ते की खेत में स्कूली छात्र कर रहे कार्य

नशे के आगोश में समा रहा है छात्रों की जिंदगी

विद्यालय कैम्पस में ही लहलहा रही है पोस्ते की फसल

पैसे के लिए पोस्ते की खेत में स्कूली छात्र कर रहे कार्य

एक दिन में मिलती है चार सौ से पांच रुपए की मजदूरी

कान्हाचट्टी , संवाददाता :

विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की भविष्य के लिए राज्य सरकार कई योजनाएं चला रखी हैं जिससे कि विद्यालय में बच्चों की संख्या अच्छी हो व बेहतर पढ़ाई भी हो , बच्चों की उपस्थिति विद्यालय में पढ़ाने के लिए राज्य सरकार मध्याह्न भोजन बच्चों को फ्री पुस्तक, निशुल्क ड्रेस, आदि आदि दी जा रही है। ताकि बच्चों को शिक्षा की बेहतर व्यवस्था मिल पाए। परंतु चतरा जिले के राजपुर थाना क्षेत्र के विभिन्न जंगली क्षेत्रों में विद्यालय के सैकड़ों बच्चे नशे के सौदागरों के आगोश में समाए हुए हैं। राजपुर थाना क्षेत्र के विभिन्न सरकारी ऐसे विद्यालय  जिनमें पढ़ने वाले चौथी से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चों के द्वारा पोस्ते की हो रही अवैध खेती में मजदूर के रूप में कार्य कराए जा रहे हैं ।इतना ही नहीं कई विद्यालय ऐसे हैं जिन के प्रांगण में पोस्ते की फसल लहलहा रही हैं ऐसे ही विद्यालयों में प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम पथेल बघ मारी पचपेड़ी सिकिद बनिया बांध,बीर लुटुदाग अमकुदर सहित 2 दर्जन से ज्यादा विद्यालय का नाम शामिल हैं। बताते चलें कि प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम पथेल मध्य विद्यालय के चारों तरफ पोस्ते की फसल बेबाक रूप में लहरा रही है । उस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे की नशे भरी सुगंध के आगोश में समाए रहते हैं जहां पर जिस जगह पर सरस्वती का निवास हो वहां पर नशे के सौदागरों द्वारा यह कैसा अन्याय?बताते चले की विद्यालय में पढ़ाई कर रहे बच्चों का भी कहना है की आखिर क्यों नहीं हमलोग मजदूरी करेंगे।विद्यालय में महीने में दो चार दिन ही मध्याह्न् भोजन मिलता है।जिसके कारण ज्यादा तर छात्र छात्राऐं क्षेत्र में हो रहे अवैध पिस्ते के फसल में कार्य करने चले जाते है।

स्कूली छात्रों को अफीम के ठीकेदार एक दिन में 400 से पांच सौ रूपये देते है मजदूरी :

पाथेल स्कुल में जब  पत्रकारों की टीम पहुंची तो मात्र छः छात्र ही मौजूद थे।वे बच्चों का कहना है की स्कुल में आकर क्या करेंगे।पढ़ाई तो स्कुल में होती ही नहीं है।शिक्षक (सचिव )है डिनेश सिंह जो छः माह में मात्र छः दिन भी विद्यालय नहीं आते है।तो हम लोग काम करेंगे ही।अभी क्षेत्र में पोस्ते की फसल लगी हुई है जिसमे काम करने पर चार से पांच सौ रूपये की राशि मिलती है।

कोई अधिकारी नहीं लेते है ऐसे विद्यालय का सूध :

ऐसे विद्यालय के सुध कोई अधिकारी लेने नहीं पहुंचते है।आज तक शिक्षा विभाग तो नहीं पहुंची उसके आलावा किसी अधिकारी पदाधिकारी इन बच्चों की सुध तक लेने नहीं पहुंचते है।कभी कभी पुलिस आती है भी तो इस गरीब क्षेत्र के बच्चों पर किसी तरह का ध्यान नहीं दिया जाता है।

अब बच्चे पोस्ते को चीरा लगाने में जुटेंगे :

अब पोस्ता माफियाओं के साथ साथ पैसे  की लालच देकर स्कूली बच्चों को भी पोस्ते में चीरा लगाने में लगेंगे।जिसमे इन बच्चों को प्रतिदिन के हिसाब से 400 से 500 रूपये अफीम माफिया देंगे।जिसके चलते बच्चे पैसे के लालच में स्कुल न जाकर पोस्ता को संवारने में अपनी कीमती समय ब्यतीत कर रहे हैं

क्या कहते है विद्यालय के सचिव :-

पाथेल विद्यालय के सचिव से इस बाबत पूछे जाने पर उन्होंने बताया की ये सत्य है की विद्यालय कैम्पस में पोस्ते की फसल लगाया गया है ।जिनका स्कुल के बगल में खेत है और जिनका पोस्ता लगा हुआ है उन्हें पोस्ता हटाने के लिए कई बार कहा गया परन्तु कोई सुनता नहीं है।इस पोस्ता की फसल को यदि पुलिस बर्बाद करती तो बेहतर होता।लेकिन राजपुर पुलिस भी पोस्ता के सौदागरों से पैसे लेकर पोस्ते की फसल को बर्बाद नहीं कर रहे है।

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