
जरूर जानिए क्या है सरकारी अस्पतालों का घिनोना सच
जरूर जानिए क्या है सरकारी अस्पतालों का घिनोना सच
लोहरदगा संवाददाता
लोहरदगा सदर अस्पताल के डॉक्टरों का घिनोना सच जहाँ डॉक्टरों को भागवान का दर्जा दिया जाता है वही डॉक्टरों का शैतानी सच से आप लोगो को रूबरू कराता हूँ ।आज सुबह के चार बजे खरकी बाला टोली से अदनान नामक बच्चे को सदर अस्पताल में एड्मिट किया जाता है।जिस वक्त ड्यूटी पर मौजूद डॉ द्वारा बच्चे को प्राइवेट क्लिनिक में दिखलाने का सलाह देते हैं पैसे की तंगी के कारण अहद खान जो बच्चे का पिता है प्राइवेट में दिखलाने से इंकार कर दिया उसके बाद बच्चे का इलाज चालू किया जाता है और ब्लड लाने को बोला जाता है इस बीच कुछ लोगों द्वारा कई व्हाट्सअप ग्रुप में ब्लड देने का रिकवेस्ट भेजा गया और उसके आधे घंटे बाद यानी 11 बजे भंडरा प्रखंड के पत्रकार राजेश गुप्ता द्वारा ब्लड दिया जाता है तभी एक और डॉ आते हैं और दोनों डॉक्टरों के बीच कुछ डिस्कर्स होता है और उसके 20 मिनट बाद डॉ पोस्टमास्टम रूम की तरफ जाते है। और पोस्टमास्टम रूम से लौटने में 2 घंटे का टाइम लग जाता इस बीच बच्चे का पिता पागल की तरह खून लिए कभी अपने बच्चे के पास तो कभी पोस्टमॉर्टम रूम की तरफ दौड़ता है तभी बच्चा अपना दम तोड़ देता है तो ये है दुनियावी भगवानो का असली सच बच्चा बाला टोली निवासी अहद खान का 3 वर्षिय पुत्र है किस्को प्रखंड से अगर टाइम पर खून चढ़ाया जाता तो शायद बच्चा अपनी माँ के गोद में होता जो अब इस दुनिया में नहीं है। यह है लोहरदगा के सदर अस्पताल की सच्चाई।
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