
बैंकों द्वारा लगाया गया ATM मशीन केवल शोभा की वस्तु बनकर रह गई
बैंकों का ATM बना शोभा की वस्तु इन दिनों पूरे शहर में बैंकों द्वारा लगाया गया ATM मशीन केवल शोभा की वस्तु बनकर रह गई है
विजय कुमार शर्मा पश्चिमी चंपारण बिहार
जिस उद्देश्य से ATM लगाया गया था वह उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है क्योंकि राशि का भाव वह मशीन की खराबी प्रतिदिन की घटना बन गई है ग्राहक सुबह से शाम तक कतार में खड़े रहकर पैसा निकासी के लिए इंतजार करते रहते हैं बगैर सूचना मिलती है कि आज पैसा डाला ही नहीं गया है इन सब कमी के कारण आम जनता विशेषकर महिलाएं काफी परेशान नजर आ रही हैं आर्थिक कमी के कारण लोग अपने घरों को छोड़ कर पैसा निकासी के चक्कर में कई घंटे घर से बाहर रहने पर मजबूर हैं पैसा नहीं मिलने के कारण कोई काम नहीं हो पा रहा है ऐसी स्थिति हमेशा नजर आ रही है इन एटीएम मशीनों के द्वारा की गई लापरवाही या बैंकों की लापरवाही से आम जनता त्रस्त है लोग किसी को वादा करके अपना वादा को नहीं निभा पा रहे हैं क्योंकि राशि की निकासी नहीं होने के कारण आपस में मनमुटाव वह गाली-गलौज भी शुरू हो जा रहा है सबसे दुख की बात यह है के बैंक अपना ATM मशीन चार्ज SMS चार्ज वार्षिक चार्ज ले लेता है मगर अगर अपनी जिम्मेवारी को सही तरह से पूरा नहीं कर पाता है बैंकों की लापरवाही और ATM मशीन में राशि नहीं रहना प्रतिदिन की घटना बन गई है इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संघ के जिला अध्यक्ष श्रीमती सुरैया साहब ने मांग की है एटीएम मशीनों की हालत में सुधार की जाए तथा समय से पूर्व मशीनों में राशि डाल दी जाए ताकि आम जनता परेशान ना हो सके अगर ऐसा नहीं किया जाता है जनता अगर परेशान होती है तो यह मानवाधिकार का हनन का मामला बनता है
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