
ईश्वर के साथ प्रेम करने का साधन ही भागवत शास्त्र
ईश्वर के साथ प्रेम करने का साधन ही भागवत शास्त्र
जिला संवाददाता राकेश द्विवेदी
संतकबीरनगर आचार्य धरणीधर विकासखंड बघौली के अंतर्गत उतरावल में चल रही भागवत कथा के प्रथम दिवस में अयोध्या से आए कथा व्यास आचार्य धरणीधर जी ने कहा मनुष्य दुख में ईश्वर का स्मरण करता है जिससे उसका परमात्मा के साथ अनुसंधान होता है उसे आनंद मिलता है दूसरों के दुख दूर करने का परमात्मा का स्वभाव है इसलिए भगवान वंदनीय आध्यात्मिक आधिदैविक आधिभौतिक तीनों प्रकार के तापों के नाश करने वाले भगवान श्री कृष्ण हैं हम उनकी वंदना करते हैं कुछ लोग प्रश्न करते हैं वंदना करने से क्या लाभ हैं वंदना करने से पाप जलते हैं जीव के सारे कष्ट भस्म हो जाते हैं परंतु वंदना अकेले शरीर से नहीं मन से भी करो दुख में जो साथ दे उसे हम ईश्वर कहते हैं दुख में जो साथ दे वह जीव है ईश्वर सर्वदा दुख में ही साथ देते हैं पांडव जब तक दुख में थे भगवान ने उनकी खूब मदद की और पांडव सिंहासन पर बैठे तब भगवान कृष्ण वहां से चले गए जिससे भी मिलते हैं दुख में ही मिलते हैं मनुष्य धन पाने के लिए जितना प्रयत्न करता है दुख सहन करता है उससे भी कहीं कम प्रयत्न के लिए भी करे तो उसे ईश्वर अवश्य मिलेंगे परमात्मा के चरणों में आसरा लेकर ही महा पापी धुंधकारी देवता जैसा बना धुंधकारी कहता है कि भागवत कथा में ही मेरे जैसे पापी को परम गति प्राप्त हुई धुंधकारी को लेने के लिए भगवान के पार्षद वैकुंठ से आए और परम गति को धुंधकारी प्राप्त हुआ इस अवसर पर पुर्व ग्राम प्रधान मधुसूदन राय शशि कुमार पाण्डेय प्रधान प्रतिनिधि भीम राय प्रेमचंद्र राय सुशील राय श्रीप्रकाश पाण्डेय फुलचन्द्र राय पवन राय मनीषZ पाण्डेय प्रवीण पाण्डेय रमेश राय विमल शुक्ल सचिदानंद मिश्र धनुषधर पाण्डेय रमापति राय अनिरूद्ध राय उमेश राय विजय प्रकाश मौर्य पवन यादव रामजीत राय नरेंद्र राय अजीत राय सत्यप्रकाश राय सहित
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