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पौराणिक आमी नदी चढ़ चुकी है इंसान के भौतिकवादी मानसिकता की भेट

पौराणिक आमी नदी चढ़ चुकी है इंसान के भौतिकवादी मानसिकता की भेट

पौराणिक आमी नदी चढ़ चुकी है इंसान के भौतिकवादी मानसिकता की भेट

संतकबीर नगर रिपोर्टर राकेश द्विवेदी

नदियों को साफ़ सुथरा रखने और जल सरंक्षण के नाम पर सरकारे भले ही करोडो रूपये बहाती हो लेकिन संत कबीर नगर में विश्व प्रसिद्ध सूफी संत कबीर की निर्माण स्थली मगहर से बहने वाली पौराणिक आमी नदी इंसान के भौतिकवादी मानसिकता की भेट चढ़ चुकी है !! कभी कबीर के साधना की मूक गवाह रही यह नदी आज प्रदूषण और अतिक्रमण का शिकार होकर एक गंदे नाले का रूप ले चुकी है !!
युगों के बदलते इतिहास की प्रत्यक्षदर्शी आमी नदी का उदभव तो वैसे सदियों पुराना है जिसे अम्बिका नदी के नाम से जाना जाता था !! लेकिन कभी कबीर की गंगा कही गई जीवनदायनी यह आमी नदी कबीर पंथियो सहित स्थानीय लोगो के लिए जानलेवा बन चुकी है जिसकी सबसे बड़ी बजह आज आस पास एवं गैर जिलो में स्थापित औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले कचरे के कारण आज इस कदर प्रदूषित हो चली है कि पूरा पानी काला पड़ चुका है जिसे अगर भूल कर जानवर भी पीले तो मौत के काल में समा जाता है !! इसी नदी को पवित्र करने और साफ़ सफाई के नाम पर तमाम राजनैतिक पार्टिया के अलावा साधू संतो द्वारा समय समय पर आन्दोलन भी होता रहा लेकिन आज तक अपने अस्तित्व को तलाशती आमी नदी की धार को साफ़ तो नहीं किया जा सका लेकिन ये जरुर कहा जा सकता है की आने वाले दिनों में ये ऐतिहासिक एवं पवित्र नदी खत्म जरूर हो जायेगी ।

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