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अमर स्वतंत्रता सेनानी वीर कुँवर सिंह की जयंती 23 अप्रैल 2018 को बॉम्बे बाजार परिसर में की जाएगी आयोजित

अमर स्वतंत्रता सेनानी वीर कुँवर सिंह की जयंती 23 अप्रैल 2018 को बॉम्बे बाजार परिसर में की जाएगी आयोजित

अमर स्वतंत्रता सेनानी वीर कुँवर सिंह की जयंती 23 अप्रैल 2018 को बॉम्बे बाजार परिसर, बगहा में आयोजित की गई है।

विजय कुमार शर्मा बगहा प,च,बिहार

कार्यक्रम का संयोजक निर्विवाद चेहरा श्री अमरेश्वर सिंह को बनाया गया है। इसका आयोजन युवा क्षत्रिय महासभा के द्वारा किया जा रहा है जो आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछलोग इसे जातिगत चश्मे से भी देख रहे हैं और कह रहे हैं कि कुँवर सिंह सिर्फ क्षत्रियों के ही नहीं थे। लेकिन अगर किसी दूसरी जाति के लोगों ने अगर पहले कभी कुँवर सिंह जी की जयंती मनाई होती तो आज अपने पुरखों को याद करने के लिए क्षत्रिय समाज को आगे नहीं आना पड़ता। जाति एक सच्चाई है, जन्म से लेकर मृत्यु तक हम इसके बंधन से मुक्त नहीं हो पाते। इससे कोई इनकार भी नही कर सकता कि जाति के प्रति सबका एक स्वाभाविक लगाव होता है। बस इस जातियता से न्याय प्रभावित नहीं होना चाहिए और किसी दूसरी जाति की भावनाएं आहत नहीं होनी चाहिए। अपनी जाति के प्रति प्रेम और दूसरी जाति के प्रति भेदभाव और कटुता का भाव मन मे आना जातिवाद है।

हमलोग राजनीति से जुड़े हुए लोग हैं। हर साल हमलोग अम्बेडकर जयंती, कर्पूरी जयंती, जयप्रकाश जयंती, लोहिया जयंती, रविदास जयंती, पटेल जयंती पार्टी के स्तर पर मनाते हैं लेकिन कोई भी पार्टी हमें महाराणा प्रताप जयंती या वीर कुँवर सिंह जयंती मनाने को नहीं कहती। शायद इसमें उन्हें वोट बैंक नजर नहीं आता। दूसरे नजरिये से देखें तो अगर सभी लोग अपनी जाति के ही महापुरुषों की जयंती या पुण्यतिथि आयोजित करें और उसमें सभी जाति-धर्म के लोगों को बुलाएं तब भी सभी महापुरुषों की जयंती मना ली जाएगी और सबको श्रद्धांजलि अर्पित कर दी जाएगी, और ऐसा होता भी है। कुशवाहा समाज जगदेव जयंती, निषाद समाज जुब्बा सहनी और फूलन देवी की जयंती, दलित समाज रविदास जयंती और ज्योति बा फुले जयंती, अल्पसंख्यक समाज गुलाम सरवर जयंती, कुर्मी समाज पटेल जयंती, आदिवासी समाज बिरसा मुंडा जयंती, यादव समाज लोरिक जयंती, ब्राह्मण समाज परसुराम जयंती, वैश्य समाज भामा साह जयंती आदि समारोह आयोजित करते हैं। फिर क्षत्रिय समाज अगर वीर कुँवर सिंह जयंती मनाता है तो इसपर इतना सवाल और आश्चर्य क्यों हो रहा? कुछलोग हिंदुत्व की दुहाई देते हैं लेकिन बगहा में रानी पद्मावती के रिलीज के वक्त हिंदुत्व कहीं दिखाई नहीं दिया। अगर आज की स्थिति में हम होते तो पद्मावती के सम्मान और नारी स्वाभिमान की लड़ाई भी हम लड़ लेते और बगहा में पद्मावती फ़िल्म चलाने के  पहले सिनेमा मालिकों को सौ बार सोंचना पड़ता। लेकिन हम तो बस एक स्वतन्त्रता सेनानी की जयंती मना रहे हैं फिर इतना हंगामा क्यों?।

क्षत्रिय समाज तो वैसे भी समाजवादी रहा है और आज के बदले परिवेश के हिसाब से खुद को बदला भी है। तभी तो अगर एक घर भी कहीं क्षत्रिय है तो अपने व्यवहार, साफगोई, सामाजिक न्याय, आपसी सद्भाव, किसी को धोखा न देने और सबको मदद करने के सिद्धांत के कारण स्थानीय जनता के दिलों में अपनी जगह बनाकर रहता है। हमने तो लड़ाइयाँ भी भामा साह, राणा पुंजा और हकीम खान सूरी के साथ मिलकर लड़ी हैं। आज भी किसी गरीब के पहुँच जाने पर उसकी बेटी की शादी के लिए डेहरी का धान एक साधारण क्षत्रिय परिवार के घर से खुशी-खुशी निकलता है। हम क्षत्रियों से अधिक ब्राह्मणों का भी सम्मान कोई नहीं करता और पिछड़ों, दलितों की मदद के लिए भी यह समाज हमेशा आगे रहता है। हम आइएएस, आईपीएस बनकर भी बिना पक्षपात के दबे कुचले लोगों के प्रति ज्यादा हमदर्दी रखते हैं। वहीं सांसद-विधायक बनकर कहीं किसी मलिन बस्ती में खाट पर बैठकर पानी पी लेते हैं। हम तो कथित निम्न जातियों के साथ गमछा बिछाकर ताश भी फेंट लेते हैं, कोई भेद नहीं करते। अब तो पैग लहराने का युग नहीं रहा वरना हम उसमें भी साथ बैठने वालों की जाति नहीं देखते थे। कहीं-कहीं तो चिमनी भट्ठे पर मजदूरों के साथ बैठकर हम सुट्टा भी मार लेते हैं। हम क्षत्रिय कुल में पैदा लिए हैं यह भी हमारे हाथ मे नहीं था, ना ही हमने इसके लिए भगवान के पास कोई अर्जी दी थी और इसका हमको अफसोस भी नहीं बल्कि गर्व ही है। इतिहास गवाह है कि इस समाज ने राष्ट्र की भी रक्षा की है और अपने वचनों की भी। अपने महापुरुषों को याद करने में हमें कोई संकोच भी नहीं क्योंकि हमलोग तो सभी का सम्मान करना जानते हैं और सभी महापुरुषों को उनकी जयंती-पुण्यतिथि पर उन्हें नमन करते हैं।

यद्यपि इस जयंती समारोह का आयोजन युवा क्षत्रिय महासभा कर रही है। लेकिन इस कार्यक्रम में प्रज्ञा समिति, ब्राह्मण संस्कार मंच, यादव जागरण मंच, यादव युवा शक्ति, चित्रांश परिवार, वैश्य महासभा, रौनियार महासभा, स्वर्णकार संघ, पटेल चेतना संघ, कुशवाहा जागृति मंच, निषाद जागरण मंच, बिंद-मल्लाह-नोनिया एकता संघ, तैलिक साहू महासभा, दलित चेतना मंच, दलित सेना, पसमांदा मुस्लिम महाज़, मोमिन कांफ्रेंस आदि सभी संगठनों सहित सभी जाति और धर्म के लोग सादर आमंत्रित हैं क्योंकि राष्ट्रपुरोधा किसी एक समाज के नहीं होते। गौरतलब है कि यह सब संगठन मैंने नहीं बनाए, पहले से चल रहे हैं और हम सबका सम्मान करते हैं। कार्यक्रम में माननीय सांसद, अनुमंडल के सभी माननीय विधायक, विधान पार्षद, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, आयोगों के सदस्य और नगर परिषद की सभापति को भी आमंत्रित किया गया है। कुछलोग कहते हैं कि मुझे सफाई देने की बुरी आदत है। अब जो है सो है, मेरे शुभचिंतक मुझे इसी रूप में पसंद करते हैं तो अब मैं खुद को बदल भी नहीं सकता।

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