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तीन साल से न हाथों को काम, न नसीब हुई पेंशन

तीन साल से न हाथों को काम, न नसीब हुई पेंशन


तीन साल से हाथों को काम, नसीब हुई पेंशन


बसहाटांड़ पंचायत के सिकटिया गांव के बेरोजगारों को पिछले तीन साल से रोजगार की तलाश है। वहां के गणेश मरांडी, सोनाधन टुडू, बालेश्वर मुर्मू मनोधन सोरेन, दीलीप टुडू, बड़ी हांसदा, छोटेलाल टुडू, राजेंद्र मरांडी, पाने मरांडी, वकील मरांडी आदि मनरेगा पंजीकृत मजदूरों का कहना है कि वे काम की तलश में विगत तीन साल से दूसरे तीसरे पंचायतों का चक्कर काटते हैं।

फिर भी उन्हें प्रत्येक दिन काम नहीं मिल रहा है। इसके चलते उनके समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गयी है। मनरेगा से पर्याप्त मात्रा में आजतक उन्हें काम नहीं मिला। यदि मनरेगा के भरोसे रहता तो उनका परिवार भूखे मर जाता। आसपास काम नहीं मिलने पर वह बाहर प्रदेश अपनी जीविका की तलाश में पलायन को मजबूर हो जाते हैं।

रोजगार के लिए अपने पंचायत की मुखिया को कई बार बोले लेकिन उनके द्वारा काम की जगह आश्वासन जरुर मिला, काम नहीं। पूरे महीनें में एक सप्ताह तक काम नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते उनका परिवार का भरण-पोषण से लेकर शिक्षा, सेहत पर बुरा असर पर पड़ रहा है। यहीं नहीं खड़े हांसदा उम्र 65 कालो हेम्ब्रम, सिमोली हेम्ब्रम सहित कई अन्य ने पेंशन भी आजतक नसीब नहीं होने की बात कही।

क्या कहते हैं मुखिया :
मुखिया कविता देवी ने ग्रामीणों की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई कर रोजगार सहित अन्य जरुरी चीजों को लेकर बीडीओ से बातचीत करने की बात कही।

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