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भाई-बहन ने एक साथ सिविल सेवा परीक्षा में बाजी मारी

भाई-बहन ने एक साथ सिविल सेवा परीक्षा में बाजी मारी


भाई-बहन ने एक साथ सिविल सेवा परीक्षा में बाजी मारी

देश की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में नगर के पांच युवाओं ने भी अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। इसमें दो भाई-बहन है। राव प्रवीन सिंह को 152वीं रैंक मिली है। उनकी बहन डॉ.प्रियंका सिंह को 309वीं और मढ़ौली की रूपसी सिंह को 325 रैंक मिली है। राव प्रवीन सिंह और डॉ.प्रियंका सिंह भाई बहन है। नोयडा में रहने वाले काशी के श्रेयस को 266वीं रैंक मिली। इसके अलावा अनुकृति को 355वीं रैंक प्राप्त हुई है।

सपना साकार हुआ

टकटकपुर के रहने वाले राव प्रवीन सिंह को दूसरे तीसरे प्रयास में सफलता मिला। हिन्दुस्तानसे बातचीत में उन्होंने बताया कि उन्हें तीसरे प्रयास में कामयाबी मिली है। उन्हें आईपीएस कैडर मिलना तय हैं। उनका सपना साकार हो गया। उन्होने अतुलानंद कान्वेंट स्कूल से 2009 में बारहवीं की परीक्षा पास की। इसके बाद एचबीटीआई कानपुर से बीटेक किया। कैम्पस सेलेक्शन छोड़कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गए। राजनीति विज्ञान विषय से तैयारी की। प्रवीन बताते हैं कि उन्होंने कोचिंग भी किया। कोचिंग का लाभ यही है कि वहां यह पता चलता है क्या नहीं पढ़ना है। उन्होंने बताया कि सिविल सेवा परीक्षा में सफलता के नियोजन के साथ कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। साथ में उचित मार्गदर्शन भी जरूरी है। प्रवीन ने बताया कि टीवी पर न्यूज डिबेट देखना उन्हें पसंद है। खाली समय में क्रिकेट खेलना और किताबें पढ़ना और गाने गाना अच्छा लगता है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता प्रभु सिंह (सेवानिवृत रेलकर्मी), अपनी मां और बहन डॉ.प्रियंका सिंह को दिया है।

अभी और आगे जाना है

राव प्रवीन सिंह की बहन डॉ.प्रियंका सिंह को 309वीं रैंक मिली है। डॉ.प्रियंका को पिछली बार सिविल सेवा परीक्षा में 352 रैंक मिली है। वह इस समय भारतीय राजस्व सेवा (कस्टम-एक्साइज) में प्रशिक्षण ले रही हैं। उन्हें उम्मीद है कि 309वीं रैक में उन्हें भारतीय राजस्व सेवा में ही उन्हें और अच्छा पद मिल जाएगा। उनके पास मौका है। वे अपना प्रयास जारी रखेंगी। डॉ.प्रियंका ने बारहवीं तक की पढ़ाई संत अतुलानंद कान्वेंट स्कूल से किया। उन्होंने 2005 में बारहवीं की परीक्षा पास की। इसके बाद मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया। सफदरजंग हास्पीटल से एमडी करने के बाद सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गईं। पहले प्रयास में ही सफलता प्राप्त किया। प्रियंका सिंह की शादी जौनपुर निवासी पीसीएस अधिकारी राजेश सिंह से हुई है।

भूगोल विषय के साथ रूपसी ने पाई कामयाबी

सेंटजांस (महरौली) से 2009 में दसवीं पास करने वाली रूपसी सिंह ने 325वीं रैंक लाकर विद्यालय का नाम रोशन किया। बारहवीं करने बाद रूपसी ने संघ लोक सेवा आयोग की एसीआरए (स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेटिंस) की परीक्षा पास करने के बाद रेल सेवा को ज्वाइन कर लिया। इस समय ट्रेनिंग ले रही हैं। रूपसी ने भूगोल विषय के साथ सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी बगैर किसी कोचिंग की। उन्होंने बताया कि सिविल सेवा की तैयारी से जुड़े स्टडी मैटेरियल आनलाइन उपलब्ध हैं। रूपसी ने बताया कि आइएएस बनने तक उनकी तैयारी चलती रहेगी। हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज में वाणिज्य में लेक्चरर रूपसी के पिता डॉ.अनिल प्रताप सिंह और मॉ राजवी सिंह बिटिया की सफलता से काफी खुश हैं।

श्रेयश ने तैयारी के लिए छोड़ी नौकरी, मिली सफलता

सिविल सर्विस परीक्षा में 266वीं रैंक पाने वाले श्रेयश प्रताप सिंह मूलरूप से वराणसी के रहने वाले हैं और नोएडा में सेक्टर-62 में परिवार के साथ रहते हैं। परिवार में माता-पिता के अलावा एक छोटी बहन है। उन्होंने बताया कि सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी और सफलता पाई।

श्रेयस ने बताया कि 2015 में उन्होंने बिट्स पिलानी से इलेक्ट्रिक एंड इलेक्ट्रानिक इंजीनियरिंग की थी। 2016 में सिलि सेा परीक्षा में बैठे थे। पहली बार में इंटरव्यू तक पहुंच गए थे। बैंगलुरु में एक कंपनी में इंजीनियर की नौकरी की थी लेकिन सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी थी। 2017 में फिर से परीक्षा दी और सफलता हासिल हुई। 10वीं की पढ़ाई हिमाचल प्रदेश से की है और 12वीं कोटा (राजस्थान) से पूरी की है। सिविल सर्विस परीक्षा के लिए रोजाना आठ घंटे पढ़ते थे। पढ़ाई केY अलावा गजल सुनने और बैडमिंटन खेलने का शौक रखते हैं।

आईएसए बनने के लिए अमेरिका छोड़ा

बीएचयू में कृषि विज्ञान संस्थान में प्लांट ब्रीडिंग विभाग के प्रोफेसर वीके मिश्रा की बहु अनुकृति ने 355वीं रैंक हासिल किया है। अनुकृति की पढाई कोलकाता से हुई। कोलकाता के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद पीएचडी के लिए अमेरिका चली गईं। वहां उनकी रूझान सिविल सेवा की तरफ हो गया। इसके बाद वह वापस लौट आईं। बीएचयू में रहकर तैयारी की। उन्हें चौथे प्रयास में सफलता मिला। मूल रूप से राजस्थान की रहने वाली अनुकृति ने बताया कि अभी उनकी इच्छा आईएएस बनने की है। इसलिए उनकी तैयारी जारी रहेगी। लोक संगीत और नृत्य से उनका काफी लगाव है।

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