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तालाब सूखने से किसानों ने खेती से मुंह मोड़ा

तालाब सूखने से किसानों ने खेती से मुंह मोड़ा


रंका प्रखंड के खरडीहा पंचायत के ग्रामीणों पर जलसंकट का असर दिखने लगा है। पानी से भरा रहने वाला असनाही बांध के सूख जाने के बाद ग्रामीणों ने खेती किसानी से मुंह मोड़ लिया है। कभी गांव का 40 एकड़ से अधिक भूखंड सब्जी की खेती और हरियाली से गांव खुशहाल होता था। बांध सुखने से गांव के खेत बंजर हो गए हैं। सिंचाई की सुविधा नहीं होने से गांव के किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं। खरडीहा गांव के आंबेडकर नगर के ग्रामीण विश्वनाथ राम, किशन राम, रघुनाथ राम, कामेश राम, मुनि राम, सीता राम बताते हैं कि सब्जी की खेती से किसानों को अच्छी आमदनी होती थी। पंचायती राज व्यवस्था में भी गांव में सिंचाई की व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया जा सका। ग्रामीण बताते हैं कि असनाही बांध किसानों के लिए लाइफ लाइन होता था। पहली बार असनाही बांध सूख जाने से किसान सब्जी की खेती नहीं कर रहे हैं। तालाब सूख जाने से किसान चिंतित हैं। ग्रामीण बताते हैं कि तालाब काफी पुराना है। गहरीकरण कर उसे पुनर्जीवित किया जा सकता था। उसपर ध्यान नहीं दिया गया। ग्राम सभा में प्रस्ताव लाने के बाद भी उसे चयनित नहीं किया गया। पंचायत और प्रशासन की लापरवाही का खमियाजा किसान उठा रहे हैं। गांव के संतोष राम, सीताराम, रवि राम, प्यारी चंद्रवंशी, अरुण राम बताते हैं कि गांव में उसके अलावा आहर, गौरेहिया नाला, बरघोड़ा नाला, जुड़बनिया नाला को भी सिंचाई के लिए कारगर बनाने की जरूरत है। सिंचाई के लिए किसानों को पानी मिलता तो मवेशी और जंगली जानवरों के लिए भी पीने के पानी का बंदोबस्त हो जाता। जुड़वनिया नाला दो साल पहले टूट गया। उसे भी दुरुस्त नहीं किया गया। उसे दुरुस्त किया जाता, तो किसानों की बात बनती।

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