
जनता से संवाद कायम कर लिखें अगस्त क्रांति का इतिहास
गुरुवार, 3 मई 2018
इतिहासकार को जनता का आदमी होना चाहिए तथा अकादमिक इतिहास और जनता की सम़ृतियों में बसे इतिहास में समन्वय जरूरी है। जनता से संवाद कायम कर 1942 की अगस्त क्रांति के इतिहास का पुनर्लेखन भी जरूरी है।
ये बातें शुक्रवार को यहां शहीद महेश्वर स्मारक संस्थान के परिसर में कविता स्मृति अगस्त क्रांति संग्रहालय के उद्घाटन समारोह में रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय, कोलकाता के प्रो. हितेन्द्र पटेल ने कहीं। उन्होंने 1942 की अगस्त क्रांति को 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से जोड़कर और जनता से संवाद कायम करना होगा ताकि देश की युवा पीढ़ी अगस्त क्रांति के सही इतिहास से अवगत हो सके।
प्रारंभ में पूर्व सांसद मनोरमा सिंह और विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए प्राध्यापकों ने संग्रहालय का उद्घाटन किया। भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रो. गिरीशचंद्र पांडेय ने जोर देकर कहा कि अगस्त क्रांति में सीपीआई ने भी ग्रासरूट पर कार्य किया था लेकिन इतिहास में यह सच्चाई पूरी साफगोई के साथ नहीं है। यह भी कहा कि कोई भी में जब जनता आगे और नेता पीछे हो जाते हैं तो उसे ही क्रांति कहते हैं। राजनारायण महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं शहीद महेश्वर स्मारक संस्थान के अध्यक्ष डा. ब्रजकुमार पांडेय ने हर साल इसी तिथि पर स्व. कविता सिंह की स्मृति में यह कार्यक्रम करने की घोषणा की। अध्यक्षता कर रहीं पूर्व सांसद मनोरमा सिंह ने कविता सिंह को महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए आजीवन कार्य करनेवाली एक संघर्षशील सामाजिक कार्यकर्ता बताया और उनपर प्रकाशित पुस्तक का विमोचन किया।
कार्यक्रम में सांसद राजीव प्रताप रुड़ी भी थे उपस्थित
कार्यक्रम का संचालन कविता सिंह की पौत्री सीपिका ने किया। इस अवसर पर सारण के सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुड़ी, जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह, पूर्व विधायक कृष्ण कुमार सिंह मंटू, लेखक एवं स्व. कविता सिंह के पति डा. फणीश सिंह के साथ-साथ माधवेन्द्र कुमार सिंह, तृप्तिनाथ सिंह, तीर्थनाथ सिंह, डा. नवल किशोर शर्मा , ब्रज किशोर शर्मा, डा. नवल कुमार सिंह आदि उपस्थित थे। मालूम हो कि कविता सिंह शहीद महेश्वर की पुत्री थीं। प्रारंभ में इप्टा के कलाकारों और बाद में कुमार गंधर्व घराने के गायक पं. भुवनेश कोमकली ने गीत गाए।