
भूमि का लगान रसीद कटाना एक टेढ़ी खीर
विजय कुमार शर्मा प,च,बिहार
इन दिनों भूमि रखने वालों को अपने भूमि का लगान रसीद कटवाना एक टेढ़ी खीर जैसा हो गया है। आम लोगों की शिकायत है कि जमीन के रसीद कटवाना अंचलों के चक्कर लगाना राजस्व कर्मियों का घरों का चक्कर लगाना ताकि अपनी भूमि का सरकार को लगाम दिया जा सके इसके लिए इन लोगों का चक्कर लगाते लगाते हैं पैर का जूता घिस जा रहा है, इस पर भी लगान रसीद करना संभव नहीं हो पा रहा है इसके अलावा अंचल कार्यालयों से भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र प्राप्त करना भी एक टेढ़ी खीर है। सभी राजस्व कर्मी पहले तो अंचल में बैठते ही नहीं है और जहां अपना अड्डा रखे हुए हैं वहां एक अटार्नी के रूप में एक व्यक्ति को रखकर काम करा रहे हैं वह व्यक्ति बगैर सुविधाशुल्क ली है रसीद काटने में असमर्थता बता रहा है इसके अलावा रसीद राशि के अलावा चौगुना सुविधा शुल्क वसूला जा रहा है तब बड़ी मुश्किल के साथ लगान रसीद कटवा रहा है वह भी महीनों गुजरने के बाद पक्की रसीद मिल रही है जिससे लोगों का काम सरकारी कार्यालयों में होना संभव हो पा रहा है। जमीन की रजिस्ट्री में दी अंचल के रसीद का होना अनिवार्य करा दे दिया गया है के अंचल का रसीद मूल रूप से चालू वित्तीय वर्ष का होना चाहिए। भूमि का हस्तांतरण करने में या भूमि को बेचने में इस लगान रसीद का बहुत प्रभाव पड़ता है नहीं रहने पर कोई काम नहीं हो पाएगा बैंकों से ऋण लेने में भी इसी लगान रसीद का आवश्यकता होती है। सरकारी किसी काम को करने फसल बीमा लेने भूमि बेचने व खरीदने भूमि का हस्तांतरण करने बैंक से कर्ज लेने म इस लगान रसीद का महत्व अलग है इसके अलावा जिन भूमिका स्वामित्व प्रमाण पत्र अंचल से नहीं प्राप्त हुआ रहता है उस भूमि का किसी प्रकार के काम करने में अडचनेपैदा होती है, इसी कारण बस अंचल का लगान रसीद का होना अति अनिवार्य है जिस को पाने में नानी याद आ जाती है साथ-साथ पैसे देना भी पड़ता है।
जिला के सभी अंचल कार्यालयों में राजस्व कर्मियों को बैठने का समय निर्धारित नहीं रहने के कारण लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है कई बार अंचलाधिकारियों से मिलने से पता चला है कि इन राजस्व कर्मियों को सप्ताह में 3 दिन बैठने का आदेश दिया गया है मगर कोई भी राजस्वकर्मी अंचल कार्यालय में समय पर नहीं रहते हैं जिसके कारण भूमि दाताओं को या भूमि रखने वाले को अंचल का लगान रसीद कटाने में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है मगर लाख कहने के बावजूद भी राजस्व कर्मी अंचल कार्यालय में नहीं नजर आते हैं, बहुत सारे लोगों का कहना है कि अगर अंचल कार्यालय में राजस्व कर्मी के बैठने का समय सीमा एक दिन निश्चित कर दिया जाए उस समय सीमा और दिन पर उनकी उपस्थिति रही तो लोगों को अपने भूमिका अंचल लगान रसीद कटाने में कोई दिक्कत नहीं होगी मगर ऐसा नहीं हो रहा है। इस बिंदु पर अंचल में मौजूद लोगों में से कई लोगों ने संवाददाता से भी बात की है और अपनी परेशानी को बताते हुए कहां है कि सभी अंचल कार्यालयों में राजस्व कर्मियों की बैठने की रास्ता निकाला जाए जिन लोगों ने अपनी मजबूरी बताई है जो अंचल कार्यालय में मौजूद थे उनमें अशोक गुप्ता अवध किशोर सिंह मोहम्मद अलाउद्दीन रजिया बेगम संतोष कुशवाहा अमर पटेल, मोहन पासवान विपिन तिवारी विपिन जैैसवाल इत्यादि अन्य लोगों ने इस संबंध में अपनी परेशानियां को बताया है जिससे यह समझ में आता है कि इन शहर के नागरिकों को अपनी भूमि का लगान रसीद कटाने में कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है कि वह मजबूर होकर अपनी दुखड़ा रो रहे हैं।
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