
मुद्दों पर न रहें खामोश, कलम की ताकत
मुद्दों पर न रहें खामोश, कलम की ताकत
रितु राज, संपादकीय
कहते है कलम की ताकत तलवार से ज्यादा होती है और अक्सर ऐसा लगता है मुझे दुनिया में अब तक जितनी लड़ाई तलवार से आरंभ हुआ है बहुत सारे खून खराबे के बाद उसे क़लम के समझओते पे ही अंत होता है और ये एक ऐसी ताकत है जिसे दुनिया की कोई ताकत खत्म नहीं कर सकती उसे कलम के समझौते पे ही खत्म होना पड़ता है और ये एक ऐसी ताकत है जिसे दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती न दबा सकती है उदहारण के लिए अगर कोई आशिक नया प्यार करता है तो वो रोमांटिक शायरी लिख कर अपनी ख़ुशी का इज़हार करता है और वही आशिक इश्क में धोका खाता है और लिखने की ताकत है तो दर्द भरे नग्मे लिखने लगता है बहुत सारे कवि और लेखक हुए हैं जो अपनी कलम के सहारे अपने देश की एकता और अखंडता को जोड़ने का काम किया है जैसे आपको बता दें कि रबींद्रनाथ टैगोर ने हमें राष्ट्र गान “जन गन मन ” लिख कर देश की एकता को दर्शाया है तो मोहम्मद इक़बाल ने ” सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा ” जैसा गीत दिया है इंसान कितना भी कमजोर हो जाये ये उन पत्रकारों की कलम चलती रहती है जो निस्वार्थ भाव से देश तथा आमजन की सेवा का प्रण लेते हुए अपनी जान का परवाह नही करते।
आजाद , निष्पक्ष तथा निर्भीक पत्रकारों को हज़ारो सलाम।।
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