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डॉ० रामजन्म मिश्र की संपादित पुस्तक चौधरी 'कन्हैया प्रसाद सिंह यादों के झरोखे में' का हुआ लोकार्पण

डॉ० रामजन्म मिश्र की संपादित पुस्तक चौधरी 'कन्हैया प्रसाद सिंह यादों के झरोखे में' का हुआ लोकार्पण

झारखंड राज्य भाषा साहित्य अकादमी के तत्वावधान में रविवार को समाहरणालय स्थित सभागार में उपन्यासकार अनिरुद्ध प्रभास रचित शेष रेगिस्तान, छाहुर और फागुन एवं वरिष्ठ साहित्यकार समालोचक डॉ० रामजन्म मिश्र की संपादित पुस्तक चौधरी 'कन्हैया प्रसाद सिंह यादों के झरोखे में' का लोकार्पण हुआ..। कार्यक्रम में आचार्य हरे राम त्रिपाठी चेतन, रांची, कनक किशोर (भारतीय वन सेवा) कोडरमा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की..। 

झारखंड राज्य भाषा साहित्य अकादमी के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में हिंदी अंगिका एवं भोजपुरी के नामचीन विद्वानों ने भाग लिया। मौके पर अकादमी के सचिव सच्चिदानंद ने मंच का संचालन करते हुए कहा कि भाषा एवं साहित्य में डॉ० रामजन्म मिश्र व अनिरुद्ध प्रभाष का योगदान मील का पत्थर साबित होगा।  कार्यक्रम का प्रायोजक प्रगति वार्ता (शोध साहित्य संवाद एवं शैक्षिक चिंतन का मासिक) ने किया। लेखक परिचय :- सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता  के श्लाका पुरुष डॉ० रामजन्म मिश्र ने समीक्षा ,निबंध, आलोचना, संस्मरण विधा में लेखन कार्य किया है। नागार्जुन एक अध्ययन, कन्हाई नाट्यशाला एवं चेतन महाप्रभु ,भक्ति यात्रा के प्रेरक प्रसंग, गंगाजल, चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह यादों के झरोखे में ,डॉ० मिश्र की प्रकाशित पुस्तकें हैं। इसके अलावे प्रगति (वार्ता शोध साहित्य संवाद एवं शैक्षिक चिंतन का मासिक) माई (भोजपुरी भाषा) की पत्रिका का प्रकाशन डॉ० मिश्र के संपादन में होता है साहिबगंज संध्या महाविद्यालय के संस्थापक सचिव डॉ० मिश्र कई साहित्यिक संस्थानों से जुड़े हैं साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ० मिश्र को अनेक संस्थाओं ने सम्मानित एवं पुरस्कृत किया है।
लेखक परिचय :- अवर शिक्षा सेवा के पूर्व अधिकारी और हिंदी अंगिका के सिद्ध हस्त लेखक अनिरुद्ध प्रभास ने साहित्य ने साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में लेखन कार्य किया है। शेष रेगिस्तान, छाहुर और फागुन इनकी प्रकाशित कृतियां हैं। चंपा के राजकन्या, छाहुर (अंगिका ऐतिहासिक नाटक) भागलपुर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल है। मुट्ठी भर महाभारत कहानी संकलन आदि प्रकाशित कृतियां हैं भाषा संगम दुमका द्वारा झा उपन्यास पर भवानी पुरस्कार कथा लेखन पर राजभाषा विभाग भागलपुर द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया है।

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