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आटिज्म का होमियोपैथी में है सफलतम चिकित्सा - रूप कुमार बनर्जी!

आटिज्म का होमियोपैथी में है सफलतम चिकित्सा - रूप कुमार बनर्जी!


गोरखपुर व्यूरों :-आज के तेजगति से क्रियाकलाप वाली जीवन शैली में विज्ञान ने तमाम सारे बीमारियों की चिकित्सा एवं निराकरण की दिशा में प्रगति की हैं। इनमें ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर ( आत्मकेन्द्रित) भी शामिल है। इसके निदान में अलग-अलग हालात पाये जाते हैं। उदाहणार्थ ओटिस्टिक डिसऑर्डर, पर्वेजिव डेवलपमेंट डिसऑर्डर, एस्पर्जर सिन्ड्रोम, रेट सिन्ड्रोम एवं चाइल्डहुड डिस इन्टीग्रेटिव डिसऑर्डर भी शामिल है। ऐसे सभी हालात को अब ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर कहते हैं। इस बीमारी में होमियोपथी सर्वाधिक कारगर साबित हुई है। यह मानसिक बीमारी है जिसके लक्षण बचपन से ही दिखाई देते हैं। 
डॉ बनर्जी के अनुसार एक तिहाई अथवा 50 प्रतिशत अभिभावकों को मालूम हो जाता है कि उनके बच्चे मानसिक रूप से बीमार है। वहीं 80-90 प्रतिशत माता-पिता दो वर्ष के पहले इसके लक्षणों से अवगत होते हैं। इसका निदान सम्भवत: जल्दी ही होना चाहिए क्योंकि यह समय के साथ बढ़ने वाली बीमारी है।
ऑटिज्म के लक्षण- बातचीत, या अलग- अलग बातों में रूचि न लेना, एक ही क्रिया बार-बार करते रहने के आधार पर इसकी पहचान की जा सकती है। नाम के उच्चारण के बाद भी प्रतिक्रिया न देना, किसी चीज को बताने के लिए उसकी ओर केवल इशारा करना, दो वर्ष की उम्र तक खेलने का ही प्रदर्शन करना, आंख से आंख न मिलाना, अकेला रहने में ही खुश रहना, समझने में परेशानी, विचार व्यक्त करने में असमर्थता- मुश्किल, एक ही शब्द की रट लगाते रहना, सवाल के साथ असंगत जवाब देना, छोटी-छोटी घटना में भी असामान्य हो जाना, सीमित वस्तुओं में ही रूचि, हाथ या शरीर को हिलाते रहना या फिर गोल-गोल घूमना, आवाज़, गंध, स्वाद, प्रदर्शन या अनुभव के बारे में असामान्य प्रतिभाव देना, अनावश्यक ही हंसते रहना, क्रोधित होने पर सिर पटकते रहना, दांत पीसना या अंगुलियों को हिलाते रहना इनकी आदत में शामिल हो जाता है।
कैसा महसूस करते हैं ऑटिज्म ग्रसित बच्‍चे-इस बीमारी से ग्रस्त बालकों को अपनी इच्छा व्यक्त करने में तकलीफ पड़ती है। वे दबाव की स्थिति महसूस करते हैं। उन्हें बातचीत समझने में भी परेशानी होती है। नाम से बुलाने पर भी उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं होती। वे आँख से आँख नहीं मिलाते, उनके चेहरे पर विचित्र हाव- भाव रहता है।
ऑटिज्‍म का बच्‍चे पर प्रभाव--इस बीमारी से ग्रस्त 30 प्रतिशत बच्चों में विलम्ब से बोलना, काम या शब्दों का सतत पुनरावर्तन यानि बार बार वहीं काम करना या बात करना, प्रश्नों के उल्टे-सीधे जवाब, मनपसंद वस्तु के लिए उंगली से इशारा करना, किसी एक ही बात को दोहराते रहना इनकी आदत हो जाती है।
होमियोपैथी की श्रेष्ठता- होमियोपैथिक चिकित्सा शुरू करने के 120 दिन में ही सुधार की अनूभूति की जा सकती है।
विश्व में सन् 2008 के दो अप्रैल से विश्व ऑटिज्म दिवस मनाया जाता है। इस बीमारी से जाग्रत होना इसका मुख्य उद्देश्य है। समय से निदान और होमियोपैथी इलाज पद्धति इस बीमारी से छुटकारा पाने का सर्वश्रेष्ठ इलाज है।

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