
ईद कपड़ों का नहीं अपनो का त्योहार कोरोना संकट काल में ईद सादगी से मनाने की अपील
विजय कुमार शर्मा की कलम से बगहा पश्चमी चम्पारण बिहार
कोरोना संकट काल में चल रहे लाँकड़ाऊन के चलते हर कोई घर में बंद है। ज़रूरत पर ही लोग घर से बाहर निकल रहे हैं। मस्जिदों समेत सावर्जानिक तौर पर रोज़ा इफ़्तार जैसे कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जा रहे हैं रमज़ान माह का आख़री अशरा चल रहा है रमज़ान के अलविदा जुमा और ईद उल फ़ितर के दौरान भी लाँकड़ाऊन फ़ोर लागू है इस बार भी लाँकड़ाऊन का उल्लंघन ना हो सके इस के लिए मुस्लिम समाज के लोगों से ईद सादगी से मनाने की अपील हैं
प्रखण्ड बगहा एक के चखनी निवाशी आमिर अली बैठा ने बताया कि इस संकट काल में देश के लोग ज़िन्दगी से लड़ रहे हैं ऐसे में ख़ुशी के आयोजन का कोई मतलब ही नहीं बनता ईद कपड़ों का नहीं अपनो का त्योहार है ईद के लिए नए कपड़े पहनना ज़रूरी नहीं है जो उमदा हों उसी को पहन कर ईद मनाए तो वही डॉ, बरदुलाह अंसारी ने बताया की नमाज़,रोज़ा,हज जैसे एक इबादत है वैसे ही किसी ग़रीब की मदद करना भी बड़ी इबादत होती है पंचायत समिति इजहार सिद्दिकी ने बताया कि इस ईद उल फ़ितर के त्योहार को सादगी से मनाएँ इस समय देश को हर किसी के योगदान की ज़रूरत है ईद पर अधितर कपड़ो की दुकान बंद है ख़रीदारी की जगह हर बंदा तय करे कि किसी एक परिवार को एक महीने का राशन देगा,किसी एक ज़रूरतमंद के घर का एक महीने का किराया देगा किसी के बीमारी के इलाज में मदद करेगा या किसी बच्चे की पढ़ाई- लिखाई में मदद कर सकता है।
0 Response to "ईद कपड़ों का नहीं अपनो का त्योहार कोरोना संकट काल में ईद सादगी से मनाने की अपील"
एक टिप्पणी भेजें