-->
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन चिंतन

राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन चिंतन

राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन चिंतन
राजीव कुमार झा की कलम से
आज का दिन का स्वतंत्र भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है . इसी दिन हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का देहावसान हुआ था और आजादी के बाद देश में इस काल तक के इतिहास को जिसे नेहरू युग के नाम से संबोधित किया जाता है इस दिन उस युग का अंत हो गया था . हमारे देश में नेहरू युग को महत्वपूर्ण माना जाता है और देश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पंडित नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता है . स्वतंत्रता के बाद उन्होंने देश में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को मजबूत बनाने का कार्य किया और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से देश में कृषिगत और औद्योगिक विकास के आधुनिक युग का सूत्रपात किया . नेहरू को द्वितीय विश्वयुद्धोत्तरकालीन वैश्विक चिंतन के प्रमुख मनीषियों में देखा जाता है और उन्होंने संसार के नव स्वतंत्र एशियाई अफ्रीकी देशों के संगठन के रूप में गुट निरपेक्ष आंदोलन को संगठित किया . नेहरू आधुनिक चिंतक थे और लोकतंत्र के अलावा उनके मानस पर समाजवादी विचारों का भी गहरा प्रभाव था इसलिए उन्होंने भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया और पंचशील के आदर्शों  से संसार के देशों को अपने आपसी विवादों को सुलझाने का आग्रह किया . वे सैन्यवाद और प्रसारवाद के विरोधी थे और संयुक्त राष्ट्र को विश्व चिंतन विमर्श की संस्था के रूप में देखते थे .
उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल के सहयोग से भारतीय संघ में सैकड़ों देशी राज्यों के  विलय के कठिन कार्य को संपन्न करके भारत की भौगोलिक एकता में  राजनीतिक  एकता का समन्वय किया था .
वे आजीवन राष्ट्रीय जीवन में उच्च मूल्यों और आदर्शों से अनुप्राणित रहे और देश के विकास में यहाँ के नागरिकों के जीवन क की सकारात्मक सच्चाई को स्थित मानते थे . वे महात्मा गाँधी के सच्चे अनुयायी और महान लेखक थे . हम भारत के लोग उन्हें सदैव याद करेंगे .

Ads 1

TOP CONTENT

ADS 3

ADS 4