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कोयला उद्योग के विनिवेशिकरण के खिलाफ सीटू उतरेगी मैदान पर - रामचंद्र ठाकुर

कोयला उद्योग के विनिवेशिकरण के खिलाफ सीटू उतरेगी मैदान पर - रामचंद्र ठाकुर


संवाददाता :- जे आम रंगीला

सीसीएल के कथारा क्षेत्र अंतर्गत स्वांग कोलियरी में एनसीओईए (सीटू) के बैनर तले मजदूरों की पीट मीटिंग सीटू नेता बंगाली पासवान की अध्यक्षता में की गई। इस पीट मीटिंग को संबोधित करते हुए एनसीओईए (सीटू) के केंद्रीय उपाध्यक्ष रामचंद्र ठाकुर ने कहा कि वर्तमान कि मोदी सरकार के इशारे पर कोल इंडिया अपनी अनुषंगी इकाइयों को कमजोर कर इसके विनिवेशीकरण के रास्ते पर चलना चाह रही है।उन्होंने कहा सीएमपीडीआई और बीसीसीएल का 25% भी विनिवेश का प्रस्ताव कोल इंडिया लेकर आ रही है जो कोयला उद्योग और देश दोनों के खिलाफ है। उन्होंने कहा बीसीसीएल, ईसीएल और सीएमपीडीआई को कोल इंडिया से अलग करने की साजिश की जा रही है ताकि पूरे कोल इंडिया के मजदूर कोयला उद्योग एवं केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ एक साथ सड़क पर संघर्ष ना कर सके।
           उन्होंने कहा आज सेना में चार साल की भर्ती एक शुरुआत है। सेना में चार साल की भर्ती देश और देश की सुरक्षा दोनों के खिलाफ है। चार साल की भर्ती के बहाने केंद्र की मोदी सरकार सेना में भी ठेका प्रथा चालू करने जा रही है। उन्होंने कहा आज सेना में चार साल की बहाली हो रही है, कल कोयला उद्योग समेत देश के अन्य सार्वजनिक उद्योगों में भी तीन साल, चार साल पांच साल की बहाली होगी जो देश के नौजवानों- छात्रों और देश के मजदूरों के खिलाफ है।
                   पीट मीटिंग को संबोधित करते हुए एनसीओईए (सीटू) के कथारा एरिया सचिव सह सीसीएल वेलफेयर बोर्ड के सदस्य प्रदीप कुमार विश्वास ने कहा कोयला उद्योग और कोयला मजदूरों को बचाने के लिए सीटू हमेशा संघर्ष करती रही है आने वाले दिनों में कोयला उद्योग को कमजोर करने एवं इसके  विनिवेशक करण के खिलाफ सीटू ने संघर्ष का रास्ता तय कर लिया है। उन्होंने कहा जेबीसीसीआई की बैठक में 11 वां वेतन समझौता जल्द तय होना चाहिए क्योंकि मजदूर इस की आस में बैठे हुए हैं, उन्होंनेे कहां एनएमपी के तहत कोल इंडिया के 160 कोयला खदानों को निजी हाथों में देने की तैयारी चल रही है और इसी रास्ते से कोल इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है जो कोयला मजदूरों के लिए नुकसानदेह साबित होगा। उन्होंने कहा कोयला उद्योग का निजीकरण के बहाने केंद्र की मोदी सरकार देश के बड़े पूंजीपतियों को कोयला उद्योग का मालिक बनाना चाहती है, आज सैफ सिस्टम को लागू करना इसका एक सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने कहा पूर्व में कोलनेट के जरिए कोयला मजदूरों का वेतन एवं अन्य भुगतान होता था लेकिन आज सैफ के माध्यम से भुगतान करने की प्रक्रिया चल रही है इसके कारण मजदूरों का वेतन एवं अन्य भुगतान लंबित पड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कोलनेट जो एक सार्वजनिक संपत्ति थी उसे बंद कर एक निजी कंपनी सैफ को कोयला उद्योग में लाना चिंता का विषय है।
                पीठ मीटिंग को संबोधित करते हुए एनसीओईए (सीटू) के स्वांग वाशरी सचिव राकेश कुमार ने कहा आज वक्त आ गया है कोयला मजदूरों को केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ एक बड़े संघर्ष पर जाने का, तैयारी चल रही है आने वाले दिनों में सीटू के नेतृत्व में कोयला उद्योग के निजी करण एवं एवं वेतन समझौता में देरी होने के खिलाफ हम कोयला उद्योग के खिलाफ संघर्ष करेंगे। स्वांग कोलियरी के सचिव गौतम राम ने कहा कोयला उद्योग को बचाने के लिए सीटू के नेतृत्व में संघर्ष करने को तैयार हैं।
      इस कार्यक्रम में एनसीओईए (सीटू) के स्वांग कोलियरी अध्यक्ष राजकुमार मल्लाह, लगनू मुंडा, छत्रीलाल तुरी, देवश्याम कुमार विनोद गोप,  चरका रविदास समेत भारी संख्या में मजदूर उपस्थित थे।

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