हर्ल प्रबंधन को जनता की समस्या से कोई लेना-देना नही
रवि फिलिप्स (ब्यूरो चीफ धनबाद)
सिंदरी, 28अक्टूबर : हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड के निर्माण के अंतर्गत इतनी दिक्कतें और समस्याएं आ रही है, जिससे स्थानीय लोगों में भय और असंतोष की भावना समाहित होती जा रही है। इसके बाद वर्तमान हल प्रबंधन का जन से और जनता की समस्या से अपने आप को दरकिनार करना, फोन नही उठाना या उठाने के बाद दिग्भ्रमित करनेवाली बात करना आदि है। जबकि इससे पूर्व के प्रबंधन के लोग जनता से मिलना जुलना से लेकर जनता के बीच भी बैठते थे और अपने आप को जनता के साथ जोड़ कर रखते थे, जिससे प्लांट की समस्या को जनता अपनी समस्या समझती थी। उसके विपरीत अभी की प्रबंधन की कार्य और कार्यशैली पर लोग उंगली तो उठा ही रहे हैं, साथ ही सामाजिक तौर पर प्लॉट के उत्पादन सुरु होने
की बात पर भी संशय कर रहे हैं। एफसीआईएल के पूर्व कर्मी जो पीआरओ के पोस्ट से रिटायर्ड हुए उन्होंने बताया कि अमोनिया गैस पाइप लिकेज की घटना से सिंदरी में भय का माहौल बन गया है और इसका बड़ा कारण सिंदरी में स्वास्थ सेवाओं का न होना है। हर्ल प्रबंधन भी अस्पताल के
मामले में दिलचस्पी नहीं ले रहा है। इस घटना में बेहोश छह मजदूरों को धनबाद ले जाना पड़ा जबकि अस्पताल रहने पर उनका सिंदरी में ही इलाज संभव था। हर्ल का वर्तमान प्रबंधन गैर जिम्मेदार है। फोन करने पर अक्सर जबाब नही मिलता है। सरकार ने भी कारखाने को लावारिस हालत में छोड़ दुर्भाग्य की बात है।
दिया है जिससे अधिकारी बेलगाम हो गए है। सिंदरी शहर के एक मात्र डॉक्टर सी.जी. साहा ने हल के कार्यप्रणाली पर कुछ नहीं कहा पर स्वास्थ सेवा के प्रति उदासीन रवैये की बात कही, साथ ही उन्होंने आश्चर्य जताया कि केवल बेहोश होने पर धनबाद •ले जाना पड़ा तो इससे बढ़ कर हुई दुर्घटना के लिए तो हल क्या करेगा? एफसीआई के पूर्व कर्मी जो एक डॉक्टर के असिस्टेंट भी रहे थे उन्होंने कहा कि अमिनिया का रिसाव काफी बड़े पैमाने पर हुआ होगा, तभी फैक्ट्री परिषर से बाहर आया नहीं तो कई बार पुराने फैक्ट्री में भी अमोनिया लीक होता था और सम्बन्धित लोग उसे काबू कर लेते थे। सिंदरी अस्पताल में लगभग 50 प्रतिशत बर्न मरीज का भी इलाज संभव था, जो अब केवल धनबाद में संभव है,
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