-->
एक रचनात्मक विचार जो अब वास्तविकता में बदल गयी है।बीआईटी सिंदरी में बायोगैस 
आर्यन (प्रोजेक्ट मैनेजर) के मुताबिक, बायोगैस प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 100 किलो कचरे को ट्रीट करने की है।

एक रचनात्मक विचार जो अब वास्तविकता में बदल गयी है।बीआईटी सिंदरी में बायोगैस आर्यन (प्रोजेक्ट मैनेजर) के मुताबिक, बायोगैस प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 100 किलो कचरे को ट्रीट करने की है।

रवि फिलिप्स  (ब्यूरो चीफ धनबाद)

सिंदरी;"निरंतर प्रयास ही सफलता की कुंजी है" बीआईटी सिंदरी में बायोगैस प्लांट संस्थान के छात्र कुमार आर्यन, गीत कुमार, नीतीश कुमार, आदर्श तिर्की और राज सिंह की एक पहल थी,  एक रचनात्मक विचार जो अब वास्तविकता में बदल गयी है। टीम ने इस कामयाबी के लिए न केवल ऑनलाइन बल्कि ऑफलाइन माध्यम में भी कड़ी मेहनत की और सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि टीम को कॉलेज और  बी.आई.टी. सिंदरी एलुमनाई एसोसिएशन (बिट्सा)  से जो  समर्थन और मार्गदर्शन मिला, वह एक आशीर्वाद साबीत हुआ। संस्थान के 1972 बैच के छात्र रहे प्रफुल्ल कुमार और अन्य पूर्व छात्र स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान प्लांट की स्थापना के समय वहाँ मौजूद थे और उन्होंने परियोजना की प्रगति और 'बिट गोइंग ग्रीन' की दिशा में पहले कदम की सराहना की। छात्रों ने बिट्सा को इस विचार को पूरी तरह से प्रायोजित करने के लिए अपना आभार व्यक्त किया और हमेशा सहायक रहने तथा विशेष आवश्यकताएं प्रदान करने हेतु निदेशक महोदय एवं डॉ. प्रकाश  (उत्पादन एवं औद्योगिक अभियंत्रण विभाग प्रमुख) का भी धन्यवाद किया। छात्रों का यह कहना है कि इस सब के कारण हम कुछ वास्तविक जमीनी स्तर का ज्ञान प्राप्त करते हैं कि चीजें कैसे काम करती हैं और बाधाओं का सामना कैसे करें और इससे कैसे हल करें।

 आगे खुलासा करते हुए, यूवीएस के रखरखाव प्रमुख श्री नीतीश ने कहा, "हम सभी छात्रावासों में दो बड़े कूड़ेदान लगाएंगे, जिनमें से एक हरे रंग का होगा जिसमें बचे हुए खाने और अन्य बायोडिग्रेडेबल कचरे को इकट्ठा किया जाएगा, जबकि नीले कूड़ेदान का उपयोग सूखे कचरे को इकट्ठा करने के लिए किया जाएगा।"

गीत कुमार, एक अन्य बीटेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्र, जो ऊर्जा वायबल सॉल्यूशंस (UVS) के परिचालन प्रमुख भी हैं, ने परियोजना के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, “संस्थान के कर्मचारी खाद्य अपशिष्ट के संग्रह में हमारी मदद करेंगे जिसे बाद में छात्रावास 26 में स्थित बायोगैस संयंत्र को कार्ट के माध्यम से खाद्य अपशिष्ट के अंतिम पृथक्करण के बाद प्रसंस्करण के लिए बायोगैस संयंत्र में डाला जाएगा।

आर्यन (प्रोजेक्ट मैनेजर) के मुताबिक, बायोगैस प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 100 किलो कचरे को ट्रीट करने की है।


बेंगलुरु में उपकरण विकसित किए जा रहे हैं। 100 किलो कचरे से 8 किलो बायोगैस का उत्पादन होगा, जिसका उपयोग खाना पकाने और उप-उत्पाद यानी जैविक खाद का उपयोग कॉलेज के सौंदर्यीकरण के लिए किया जाएगा। आर्यन ने कहा कि इस तरह के और पौधे अन्य छात्रावासों में स्थापित किए जाएंगे, ताकि एलपीजी पर निर्भरता कम हो सके।

0 Response to "एक रचनात्मक विचार जो अब वास्तविकता में बदल गयी है।बीआईटी सिंदरी में बायोगैस आर्यन (प्रोजेक्ट मैनेजर) के मुताबिक, बायोगैस प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 100 किलो कचरे को ट्रीट करने की है।"

Ads 1

TOP CONTENT

ADS 3

ADS 4