
अधिकारियों की लापरवाही से बिचौलियों के हत्थे चढ़ी बिरसा हरित ग्राम योजना, जमकर हो रही अवैध निकासी
शुक्रवार, 3 मार्च 2023
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लव कुमार चौबे, ब्यूरो चीफ , पाकुड़।
महेशपुर/पाकुड़:-
झारखंड सरकार द्वारा राज्य में विभिन्न तरह की योजनाएं चलाई जा रही है । वही योजनाओं के माध्यम से सरकार ग्रामीणों को रोजगार मुहैया करवा रही है। साथ ही करोड़ो रुपये खर्च भी कर रही है । एसी ही एक योजना सरकार द्वारा प्रवासी मजदूर को अपने राज्य में रोजगार मुहैया करवाने के लिए चलाया गया था, जिसे बिरसा हरित ग्राम योजना के नाम से जानते है ।
क्या है बिरसा हरित ग्राम योजना
प्राप्त जानकारी के अनुसार कोविड महामारी के दौरान प्रवासी मजदूर तेजी से अपने राज्य के ओर पलायन कर रहे थे । परंतु राज्य में उन्हें रोजगार का कोई साधन नही मिल पा रहा था । जिसको देखते हुए झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 4 मई 2020 को तीन योजनाएं बिरसा हरित ग्राम योजना, नीलांबर - पितांबर जल समृद्धि योजना तथा पोटो हो खेल विकास योजना की शुरूआत की । जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना था । ये तीनों योजनाएं मनरेगा के अंतर्गत चलाई जा रही है । इन योजनाओं के तहत 25 करोड़ मानव दिवस का कार्य का सृजन करना था । इन योजनाओं में बिरसा हरित ग्राम का उद्देश्य वनीकरण के लिए 2 लाख एकड़ से अधिक अप्रयुक्त सरकारी परती भूमि का प्रयोग करना था । इस योजना में 5 लाख परिवारों को लगभग एक सौ फलदार पौधे दिए जाने तथा इससे ग्रामीण को आत्मनिर्भर बनकर अपने राज्य में ही रोजगार देने का लक्ष्य था । इस योजना से सरकार पौधारोपन के तीन वर्ष में प्रत्येक परिवार को सालाना 50 हजार रुपये वार्षिक आय प्राप्त करने का अनुमान लगाए थे । साथ ही इस योजना में बुजुर्ग तथा विधवा महिला को प्राथमिकता देने की भी बात थी । इस योजना के तहत सड़क किनार, सरकारी भूमि, व्यक्तिगत या गैर मजरूआ भूमि पर पौधा लगाना है । जिसका कार्य की निगरानी उपायुक्त को है । वही प्रत्येक जिले में 1 हजार 4 सौ एकड़ परती जमीन को चिन्हित कर पौधा लगाना है । इसका उद्देश्य था कि पौधे से होने वाले फल को निर्यात किया जाए। जिससे आमदनी भी बढ़ेगी । चूंकि झारखंड राज्य की भौगोलिक संरचना पठारी और पहाड़ी तथा उबड़ - खाबड़ है । जिससे भूमि का सदुपयोग भी हो जाएगा । साथ ही बेकारी पड़ी भूमि का उपयोग के साथ - साथ राज्य की आय में वृद्धि तथा प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ेगा । इसकी देखभाल के लिए बागवानी सखी मंडल भी बनी है ।
क्यों फेल हो रही सरकार की यह योजना
राज्य सरकार ने इन योजनाओं को जिस उद्देश्य से चलाए थे ये फेल होती दिख रही है । वरीय अधिकारी के अनदेखी के कारण योजनाएं सही तरीके से धरातल पर नही उतर पा रही है ।
बिचौलियों के हत्थे चढ़ी योजना, अधिकारी की भी लापरवाही
बिरसा हरित ग्राम योजना को जिस तरह से धरातल पर लाना था, उस तरीके से धरातल पर नही उतर पाई । इसका कई झलक पाकुड़ जिले के महेशपुर प्रखंड में देखने को मिलती है । महेशपुर प्रखंड के खांपुर पंचायत अंतर्गत धनुषपूजा गांव में तीन बार बिरसा हरित ग्राम योजना चलाई गई। बावजुद योजना स्थल पर एक भी पौधा देखने को नही मिलता है । धनुषपूजा गांव में वर्ष 2021-22 में देवु पहाड़िया के जमीन पर 3 लाख 73 हजार 3 सौ रुपये की लागत से मनरेगा के तहत योजना चलाई गई । परंतु वरीय अधिकारी के अनदेखी के कारण योजना धरातल में सही से उतरा ही नही । वही बिचौलिया द्वारा वर्ष 2021-22 में ही देबु पहाड़िया के योजना बोर्ड के 2 फीट की दूरी पर ही एक नए बोर्ड सुनिल पहाड़िया के नाम से लगाकर फिर से योजना चलाई गई । परंतु इस बार भी योजना में खानापूर्ति के अलावे कुछ नही हुआ । वही बिचौलिया भी सरकारी खजाने को अपना संपत्ति समझते हुए पून: तीसरे बार उसी जमीन पर एक वर्ष बाद वर्ष 2022-23 में देबु पहाड़िया के नाम से फिर योजना चलाई । इस बार भी मैदान तो पौधे से भरी नही, परंतु साहब और बिचौलियों का जेब जरूर भर गया ।
धरातल पर नही हुआ काम, पर हो गई अवैध निकासी
बिचौलिया द्वारा एक ही भूमि पर तीन बार योजनाएं चलाई गई । परंतु धरातल पर एक भी पौधे नही है । बावजूद बिचौलिया द्वारा बड़े साहब के साठगांठ से अवैध निकासी कर ली गई । योजना के लाभुक देबू पहाड़िया के जमीन पर बीना कार्य किए 1 लाख 82 हजार 695 रुपये की अवैध निकासी कर ली गई है । वही लाभुक सुनिल पहाड़िया के भूमि पर भी किसी कार्य के 1 लाख 83 हजार 379 रुपये का अवैध निकासी कर ली गई है।
अब सवाल ये उठ रहा है कि बीना धरातल पर कार्य किए पैसे की निकासी कैसे हो गई । आखिर बिचौलिया द्वारा की गई इस कार्य का जायजा संबंधित अधिकारी क्यों नही लिए या भी अधिकारी भी इन बिचौलियों की तरह सरकारी संपत्ति से अपना जेब गर्म कर रहे है । हालांकि एसे कार्य पर जिला अधिकारी को जांच कर एसे लोगों पर कार्यवाही करनी चाहिए ।
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