-->
पाकुड़ का कंचन गढ़ की गुफा रहस्य से भरपूर, आपरूपि शिवलिंग की होती पूजा

पाकुड़ का कंचन गढ़ की गुफा रहस्य से भरपूर, आपरूपि शिवलिंग की होती पूजा


तत्कालीन उपायुक्त सुनील कुमार सिंह ने पर्यटक स्थल की दर्जा दिलाने के लिए किया था  प्रयास 

*राज कुमार भगत*
 पाकुड़। यदि आप संथाल परगना अथवा पाकुड़ साहिबगंज में रहते हैं  और  दार्जिलिंग घुमा दुनियां घुमा और यदि पाकुड़ का कंचन गढ़ नहीं देखा तो फिर क्या देखा ? एक बार आप जरूर यहां के दर्शन करें सावन का महीना यह सर्वोत्तम होगा । क्योंकि आप कर पाएंगे यहां आपरूपी शिवलिंग का दर्शन।  प्राकृतिक छटा से भरपूर जिला मुख्यालय पाकुड़ से लगभग 37 किलोमीटर दूर अवस्थित " कंचन गढ़ " के नाम से विख्यात संथाल परगना के मूलनिवासी  आदिम जनजाति पहाड़िया का जीता जागता उदाहरण है।
 चारों ओर पहाड़ी से घिरे कंचन गढ़ की शिवलिंग स्थापित   गुफा  इसका रमणीय स्थल देखते ही बनता है। यह आदिम जनजाति पहाड़िया राजा का अस्तित्व कंचन गढ़ किला आज एक भग्नावशेष के रूप में अवस्थित है। कंचन गढ़ में आज भी कई गुफाएं विद्यमान है। वहां के पहाड़िया समाज के अनुसार एक गुफा में पहाड़िया राजा रानी निवास करते थे और एक गुफा में भगवान शिव का शिवलिंग एवं नंदी की मूर्ति स्थापित है। भगवान शंकर के एक गुफा में सिंहासन भी है। यह पूरी तरह से रहस्य पूर्ण है। इसकी कोई सही आलेख नहीं मिलने से आज भी लोगों में जानकारी के अभाव है । शिवलिंग पर आज भी 24 घंटे जल टपकता है। किंतु इस शिवलिंग तक आम आदमी एवं बूढ़े बुजुर्गों को जाना थोड़ा कठिन है ।क्योंकि शिवलिंग तक पहुंचने के लिए बिल्कुल अंधेरी संकीर्ण रास्ते से होकर लगभग 40 से 45 फीट की दूरी तय करनी पड़ती है । अंदर जाते समय चमगादड़ आदि उड़ते रहते हैं । यूं कहें कि शिवलिंग तक पहुंचने के लिए हर हालत में बैठकर या  सरक  कर ही पहुंच सकते हैं । हां अपने साथ टॉर्च या मोबाइल लाइट जलाना जरूरी है। क्योंकि पूरा गुफा अंधेरा है । बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है। जहां शिवलिंग स्थापित है वहां पर खड़े होने लायक स्थान जरूर है । पहाड़िया समाज के व्यक्ति वहां के पुजारी प्रतिदिन शिवजी की पूजा अर्चना करते हैं । यह गुफा समतल भूमि से  करीब 600 फीट ऊंची स्थल पर अवस्थित है । ऊपर जाने के भी संकीर्ण रास्ते हैं। शिवलिंग स्थापित स्थल से ऊपर पहाड़ी पर पहाड़िया समाज आज भी अवस्थित है। बताया जाता है कि ग्रीक यात्री मेगास्थनीज ने भी अपने भ्रमण के क्रम में अपने लेख में इसका उल्लेख किया है।

*दुर्गम रास्ते थे कंचन गढ़ के
पहले कंचन गढ़ जाने के लिए कोई सुविधा प्राप्त नहीं थी। तत्कालीन उपायुक्त सुनील कुमार सिंह ने कंचन गढ़ काफी प्रभावित होकर  विकास की कल्पना की और पाकुर से हिरणपुर लिट़्टीपाड़ा  सिगरसी पोकलो कुंजबोना होते हुए सिंगारसी के रास्ते लगभग 76 किलोमीटर दूरी तय कर कच्ची रास्ते से कंचन गढ़ पहुंचते थे। कंचन गढ़ तक पहुंचना पहले टेढ़ी खीर था। उबड़ खाबड़  कीचड़ नुमा रास्ते से शायद ही कोई कोई वहां पहुंच पा सका था। तत्कालीन उपायुक्त श्री सिंह ने पर्यटन स्थल के रूप में इसे विकसित करने का काफी प्रयास किया था  और कई बार इसकी भ्रमण भी की। किंतु आज तक इसे पर्यटक स्थल का दर्जा नहीं मिला।

*घटकर दूरी हुई 37 किलोमीटर*
उपेक्षा का शिकार कंचनगढ़ जाना काफी सुविधाजनक हो गया है। तत्कालीन उपायुक्त के प्रयास से यह दुर्गम रास्ते को काफी सरल बनाया गया। जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर दूर लिट्टीपड़ा पहुंचकर वहां से मात्र 7 किलोमीटर पक्की सड़क से दूरी तय कर वहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। फिर आप पहाड़ी पर पगडंडी रास्ते के सहारे लगभग 600 फीट ऊपर कंचनगढ़ पहुंच सकते हैं।  वहां के पहाड़ी राजाओं द्वारा बनाया गया यह गुफा कितना पुराना है यह  कहना बहुत ही मुश्किल है। यह उस समय की कथा है जब पहाड़िया राजा रानी हुआ करते थे।आप  कंचन गढ़ की गुफा में स्थापित आपरूपी शिवलिंग की पूजा अर्चना कर सकते हैं । बच्चों के घूमने के लिए भी काफी रमणीय स्थल है। जब आप वहां पहुंचेंगे तो वहां के हरे भरे वादी को देखकर आप दार्जिलिंग की याद तरोताजा करेंगे। आप बहुत आनंदित  होंगे। बहुत ही मनोरम दृश्य है।कंचन गढ़ आज भी पहिया का आस्था का केंद्र बिंदु है ।काफी संख्या में लोग गर्मियों की छुट्टी में यहां पहुंचते हैं। पर्यटक स्थल की दर्जा नहीं मिलने से इस क्षेत्र का आज भी विकास नहीं हो पाया है। प्रशासन व सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। कंचन गढ़ हो या धरनी पहाड़ इसे पर्यटक स्थल का दर्जा देकर इसका विकास किया जाना चाहिए। इससे कुछ लोगों को रोजगार भी प्राप्त होगा और हमारा घरोहर भी बचा रहेगा। अन्यथा इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा कंचन गढ़ और धरणी पहाड़? किंतु आपसे निवेदन होगा की पाकुड़ के धरती पर रह कर यदि आपने कंचन गढ़ नहीं देखा तो सोचिए कुछ नहीं देखा। सावन के महीने भी है और भगवान के साक्षात शिवलिंग कहां विराजमान है।

0 Response to "पाकुड़ का कंचन गढ़ की गुफा रहस्य से भरपूर, आपरूपि शिवलिंग की होती पूजा"

Ads 1

TOP CONTENT

ADS 3

ADS 4