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संथाल समाज दिशोम माँझी परगना" का 28वाँ स्थापना दिवस समारोह, हेसागड़ा, बुधबाज़ार, फुटबॉल मैदान, तिलैया टांड में।

संथाल समाज दिशोम माँझी परगना" का 28वाँ स्थापना दिवस समारोह, हेसागड़ा, बुधबाज़ार, फुटबॉल मैदान, तिलैया टांड में।

भानुमित्र संवाददाता।
(हज़ारीबाग़ ):- संथाल समाज दिशोम माँझी परगना" जो संथालों का एक समाजिक संगठन है। जिसका स्थापना 30-31 मई 1997 को किया गया है। समाज के  पूर्वजों ने सामाजिक व्यवस्था परम्परा, संस्कृति जनम से मृत्यू तक रूढ़ीवादी रीति-रिवाज न्याय व्यवस्था, आदर्श आचर-व्यवहार एवं नाता-रिश्ता, सुख-शान्ति से जीवन-यापन, पूजा-पाठ, उपासना संबंधी विधि निर्मित कर विरासत में मिला है। मौखिक बातों एवं अलिखित रूढ़ीवादी रीति-रिवाज को संजोये रखें हैं। संथाल समाज अपनी रूढ़ीवादी विधि से मार्गदर्शित होते हैं। संथाल जनजातियों के लिए अपनी रूढ़ी रीति-रिवाज के मार्गदर्शित होना अधिकार है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244, 244ए तथा पाँचवीं एवं छठी अनुसूची से स्पष्ट परिलक्षित होता है। जिस मार्ग से संताल समाज के  पूर्वज चलें हैं उसी मार्ग पर संथाल चलने,अधर्म से पीड़ित नहीं होने, सथाली एकता को मजबूत करने , सोनोत संथाल समाज को सजाने ,अपनी भाषा, संस्कृति और धर्म अक्षुण्य बनाये रखने , जल, जंगल और जमीन की रक्षा, अपनी अस्तित्व की रक्षा एवं संविधानिक अधिकार के लिए संघर्ष तेज करने के लिए कृत संकल्पित है ।
संथाल समाज दिशोम माँझी परगना" के तहत सामाजिक क्रांति लाने के लिए संगठित एवं गोलबंध होने की जरूरत :-फागु बेसरा 
संताल समाज दिशोम मांझी परगाना के  मांझी हाड़ाम फागु बेसरा ने कहा कि  हम संथाल आदिवासी एक तरफ अपनी सामाजिक, आंतरिक समस्याओं से ग्रसित हैं तो दूसरी ओर बाहरी दबाव, आक्रमण हमारे समाज में हो रहा है। ऐसी स्थिति में हम संथाल आदिवासी अपनी सामाजिक संगठन संथाल समाज दिशोम माँझी परगना" के तहत सामाजिक क्रांति लाने के लिए संगठित एवं गोलबंध होने की जरूरत है संथाल आदिवासियों का चहुंमुखी विकास, भाषा, संस्कृति, धार्मिक सामाजिक मुल्यों की रक्षा के लिए "संथाल समाज दिशोम माँझी परगना" कृत्य संकल्प रहेगी। सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। जल, जंगल, जमीन की रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के लिए सामाजिक एवं राजनीतिक पहल किया जाएगा। यह सामाजिक संगठन "संथाल समाज दिशोम माँझी परगना" झारखण्ड सहित पूरे भारत वर्ष के संथाल आदिवासी जनजाति एवं अन्य जनजातियों को संगठित कर पूर्वजों के द्वारा निर्मित रूढ़िवादी सामाजिक व्यवस्था रीति-रिवाज, भाषा-संस्कृति, जल, जंगल, जमीन की रक्षा, धार्मिक मूल्यों को अक्षुण्य बनायें रखने की संकल्प आदिवासी परम्परिक स्वशासन व्यवस्था की मजबूती, संविधानिक प्रावधान से एवं माँझी परगना आपस में जुडेगें, एकता कायम करेंगे एवं समाज को सशक्त बनायेंगे। रीला-माला सोनोत संथाल समाज को सजाएगें या निर्माण करेंगे।
अपने पराम्परागत भेष-भूषा, परिधान में हजारों की संख्या में होंगे शामिल :- स्थापना दिवस समारोह में अपने पराम्परागत भेष-भूषा, परिधान में हजारों की संख्या में  शामिल होंगे . जिसमे रामगढ़ ,हज़ारीबाग़ , बोकारो ,गिरिडीह, धनबाद , दुमका ,गोड्डा ,पाकुड़ ,जमशेद पुर सहित उड़ीसा ,बंगाल सहित अन्य राज्य के संताल समाज का पदाधिकारी लोग शामिल होंगे। मौके पर  विभिन्न क्षेत्रों के संताल समाज के नृत्य मंडली द्वारा ढोल मादर के साथ रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। 
संथाल समाज दिशोम मांझी परगाना का 28वा स्थापना दिवस कार्यक्रम , मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन होंगे मुख्यातिथि  :- संथाल समाज दिशोम माँझी परगना" का 28वाँ स्थापना दिवस समारोह मांडू प्रखण्ड के  हेसागड़ा, बुधबाज़ार, फुटबॉल मैदान, तिलैया टांड में आयोजित किया गया है जिसके मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन व विशिष्ट अतिथि संथाल समाज दिशोम मांझी परगाना के मांझी हाड़ाम सह झारखंड राज्य समन्वय  समिति सदस्य फागु बेसरा मौजूद रहेंगे।  कार्यक्रम में तीर-धनुष प्रतियोगिता, महिला/पुरुष द्वारा नृत्य उद्घघाटन कार्यक्रम ,
 स्वागत भाषण, संदेश भाषण व  ,मुख्य अतिथि का भाषण सहित कई  संस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है तैयारी में मुख्य रूप से संताल समाज दिशोम मांझी परगाना के उपाध्यक्ष आरडी हंसदा , एतो बास्के ,अलख कुमार मांझी, कांदो मरांडी ,महासचिव सोनाराम हेम्ब्रोम ,सानुमदन सोरेन ,पन्नालाल मुर्मू, दिनेश ,रामकिशोर मुर्मू ,प्रदीप सोरेन ,लखीराम मुर्मू  सहित अन्य शामिल है

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