-->
वित्तमंत्री का बजट में बीमा क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने के प्रस्ताव का विरोध.. धनबाद जिले के सभी शाखाओं में किया गया द्वार प्रदर्शन

वित्तमंत्री का बजट में बीमा क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने के प्रस्ताव का विरोध.. धनबाद जिले के सभी शाखाओं में किया गया द्वार प्रदर्शन


रवि फिलिप्स  (ब्यूरो चीफ धनबाद) भानुमित्र न्यूज़🖋️
धनबाद: मंगलवार को पूरे भारतवर्ष सहित  धनबाद जिले के शाखा 1,2,3,4, गोविंदपुर एस एस सेल भारतीय जीवन बीमा निगम के दफ्तर के समक्ष अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ के आह्वान पर वित्त मंत्री के द्वारा बजट पेश करने के दौरान बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% करने की घोषणा के खिलाफ भोजनावकाश के दौरान द्वार प्रदर्शन  का आयोजन किया गया। इस अवसर पर द्वार प्रदर्शन को संबोधित करते हुए वक्ताओं कहा कि वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की घोषणा की है । यह निर्णय अनुचित है और भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए बहुमूल्य संसाधनों को जुटाने तथा नागरिकों के प्रति राज्य के दायित्व को पूरा करने के लिए इसके गंभीर परिणाम होंगे। अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ (एआईआईईए) इस निर्णय की निंदा करता है तथा इस कदम के खिलाफ जनमत तैयार करेगा। आईआरडीए विधेयक 1999 के पारित होने के साथ ही बीमा क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण समाप्त हो गया था। इस अधिनियम ने भारतीय पूंजी को विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी में बीमा उद्योग में काम करने की अनुमति दी थी। एफडीआई 26 प्रतिशत तक सीमित थी; तब से इसे बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दिया गया है। विदेशी साझेदारों वाली बड़ी संख्या में निजी बीमा कंपनियां जीवन एवं गैर-जीवन बीमा उद्योग दोनों में काम कर रही हैं। इन कंपनियों के लिए अपना कारोबार चलाने में पूंजी कभी बाधा नहीं रही; क्योंकि वे बड़े व्यापारिक घरानों के स्वामित्व में हैं जो शीर्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ साझेदारी कर रहे हैं। एक को छोड़कर, कोई भी बीमा कंपनी  में 74% एफडीआई का निवेश  है। वास्तव में, बीमा में कुल एफडीआई नियोजित पूंजी का केवल  32% ही है.
एआईआईईए का दृढ़ विश्वास है कि विदेशी पूंजी को पूर्ण स्वतंत्रता और अधिक पहुंच की अनुमति देने से बीमा उद्योग के व्यवस्थित विकास में बाधा उत्पन्न होगी, क्योंकि लोगों और व्यवसाय को आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने के बजाय मुनाफे पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। इसका भारतीय समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों के हितों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा, विदेशी पूंजी कभी भी घरेलू बचत का विकल्प नहीं हो सकती। इस मामले में, घरेलू बचत को विदेशी पूंजी को सौंपना कोई आर्थिक या सामाजिक अर्थ नहीं रखता। भारत एक कल्याणकारी राज्य है, इसलिए आर्थिक विकास के लिए बचत पर राज्य का अधिक नियंत्रण होना आवश्यक है, जिससे उसके सभी नागरिकों को लाभ हो। ऐसी भी खबरें हैं कि सरकार मौजूदा बीमा कानूनों में संशोधन करते हुए एक व्यापक कानून लाने का इरादा रखती है। एआईआईइए बीमा में एफ डी आई सीमा बढ़ाने के फैसले के खिलाफ अपना कड़ा विरोध दर्ज कराता है और इस कदम को वापस लेने की मांग करता है। यह सरकार को बीमा कानूनों जैसे बीमा अधिनियम 1938, एलआईसी अधिनियम 1956 और आईआरडीए अधिनियम 1999 में संशोधन करने के प्रतिगामी प्रस्ताव के खिलाफ भी चेतावनी देता है।यदि इससे संबंधित संशोधन विधेयक बजट सत्र में पास होता है हम बहिर्गमन हड़ताल कर इसका विरोध करेंगे तथा सरकार से मांग करते हैं कि देश हित में इन प्रस्तावों को अविलंब वापस ले। इस प्रदर्शन को सफल बनाने में 
सभी शाखा के साथियों का योगदान सराहनीय रहा।

0 Response to "वित्तमंत्री का बजट में बीमा क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने के प्रस्ताव का विरोध.. धनबाद जिले के सभी शाखाओं में किया गया द्वार प्रदर्शन "

Ads 1

TOP CONTENT

ADS 3

ADS 4