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धनबाद नगर निगम के वार्ड संख्या 53 स्थित मनोहरटांड़ उत्क्रमित मध्य विद्यालय के नवनिर्मित भवन निर्माण में ठेकेदार द्वारा बरती गई अनियमितता के खिलाफ ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया।

धनबाद नगर निगम के वार्ड संख्या 53 स्थित मनोहरटांड़ उत्क्रमित मध्य विद्यालय के नवनिर्मित भवन निर्माण में ठेकेदार द्वारा बरती गई अनियमितता के खिलाफ ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया।


रवि फिलिप्स (ब्यूरो चीफ धनबाद) भानुमित्र न्यूज़🖋️
 सिंदरी: धनबाद नगर निगम के वार्ड संख्या 53 के मनोहरटांड उत्क्रमित मध्य विद्यालय में नवनिर्मित भवन निर्माण कार्य में संवेदक द्वारा अनियमितता बरतने का रविवार को ग्रामीणों ने विरोध किया। ग्रामीणों का आरोप है कि संवेदक भवन निर्माण कार्य में घटिया बालू का उपयोग कर रहा हैं। ग्रामीण गणेश महतो, काली
पदो बनर्जी, रंजीत मल्लिक, राजेश महतो, कृष्णा मल्लिक, विमल बनर्जी, बबलू मल्लिक, संजय महतो, आशीष पाल, राहुल कुमार, सपन मल्लिक, कार्तिक मल्लिक, गोपी पाल का कहना है कि निर्माण में दामोदर नदी का मिट्टी युक्त घटिया बालू का उपयोग किया जा रहा है। चिमनी ईंटों के जगह बंगला भट्ठा का ईंट लगाया जा रहा है। बताते चले अगर
सरकारी स्कूलों में निर्माण कार्य के दौरान यदि गलत तरीके से ईटों का उपयोग या निम्न गुणवत्ता वाली बालू का इस्तेमाल किया जाता है, तो इसकी जिम्मेदारी 
 निर्माण कार्य की प्राथमिक जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है, क्योंकि वही सामग्री की आपूर्ति और निर्माण प्रक्रिया को अंजाम देता है। यदि ठेकेदार गलत या निम्न गुणवत्ता वाली सामग्री (जैसे ईटें या बालू) का उपयोग करता है, तो वह सीधे तौर पर जिम्मेदार होता है।

निर्माण कार्य का ठेका देने वाला सरकारी विभाग (जैसे लोक निर्माण विभाग या शिक्षा विभाग) और संबंधित अधिकारी (जैसे जूनियर इंजीनियर, सुपरवाइजर) भी जिम्मेदार होते हैं। उनकी जिम्मेदारी होती है कि वे निर्माण सामग्री की गुणवत्ता और कार्य की प्रगति की निगरानी करें। यदि वे निगरानी में लापरवाही बरतते हैं, तो वे भी दोषी हो सकते हैं।

 कई मामलों में, निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जाँच के लिए तीसरे पक्ष की एजेंसियाँ नियुक्त की जाती हैं। यदि ऐसी एजेंसी गलत सामग्री के उपयोग को अनदेखा करती है, तो वह भी जिम्मेदार होती है।

 कुछ मामलों में, स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) को निर्माण कार्य की निगरानी का दायित्व सौंपा जाता है। यदि वे अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाते, तो उनकी भी आंशिक जिम्मेदारी बनती है।

- यदि ऐसी अनियमितताएँ पकड़ी जाती हैं, तो शिकायत संबंधित सरकारी विभाग, जिला प्रशासन, या भ्रष्टाचार निरोधक संस्थानों (जैसे विजिलेंस या लोकायुक्त) में की जा सकती है।
- जाँच के बाद दोषी ठेकेदार पर जुर्माना, ठेका रद्द करना, या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। अधिकारियों के खिलाफ भी विभागीय जाँच या निलंबन जैसी कार्रवाई हो सकती है।

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