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सोशल मीडिया का असर, 20 वर्षों के बाद मिला परिजनों से बिछड़ा हुआ बेटा

सोशल मीडिया का असर, 20 वर्षों के बाद मिला परिजनों से बिछड़ा हुआ बेटा

गोड्डा, संवाददाता।

त्रेता युग में राम को 14 साल का वनवास हुआ था जिसमे उनके परिजनों को ये पता था की वे वन जा रहे है. उनके साथ उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी थे!
द्वापर युग में पांडव भी 12 साल के लिए वनवास गए थे और एक साल अज्ञात वास में बिताया था लेकिन आज जो कहानी गोड्डा में घटी वो इन सबों से भी ज्यादा बड़ी है.
गोड्डा जिला के पोड़ैयाहाट थाना क्षेत्र के एक लाइन होटल में पिछले कुछ सप्ताह से रह रहा एक युवक जिसे स्थानीय भाषा का भी ज्ञान नहीं था वो एक स्टाफ के रूप में काम कर रहा था. होटल मालिक उसे बेसहारा समझ कर नौकरी पर रख लिया था. किस्मत की मार तो देखिये एक मामूली लाइन होटल में " #इंजीनियर" वेटर का काम कर रहा था"
नाम- सुब्रमण्यम मणि पिता का नाम-चंद्रशेखर घर-रायचोटी आंध्रप्रदेश का ये मानसिक रूप से कमजोर था. होटल के सामने से गुजरते हुए भोजन का इशारा किया था जिसे देख मालिक ने खाना खिलाया लेकिन वो फिर निकल गया. बाद में उसे फिर से ढूंढ का लाया गया और उसे होटल में ही रख लिया गया. इसी बीच स्थानीय स्कूल के शिक्षक शैलेंद्र जयसवाल को जब इस बात की जानकारी मिली तो वे उससे कुछ बात किये. बात-चीत से ही उन्हें लगा की ये इंसान हालात का मारा हुआ है. फिर उन्होंने अपने सहयोगो सुमन कुमार के साथ मिल कर "वाट्सएप्प और फेसबुक" के जरिये मालूम करने की जुगत में लग गए. मेहनत रंग लाइ और कुछ दिनों में ही ये सुचना आई की ये खोया हुआ इंसान "माइक्रोसॉफ्ट का इंजीनियर" है जो पिछले 20 साल पूर्व ही लापता हो गया था.
बीस साल पहले रायचोटी से ही गुम होने की जानकारी आंध्र पुलिस को थी. जिसकी एफ.आई.आर भी दर्ज है. 7 साल से ज्यादा लापता होने पर सरकार भी उस इंसान को मृत मान लेती है यहीं कारण था की इनका "मृत्यु प्रमाण पत्र" भी बन चूका था.
परिवार ने ढुंढने की कोशिश की थी लेकिन कोई सफलता नहीं मिली.
दो तीन दिन पहले पता चला।
पन्द्रह दिन से है निर्झर लाइन होटल में सुमन कुमार व  शैलेंद्र जयसवाल ने अपनी कड़ी मेहनत लगा दी. डिजिटल इंडिया के इस युग मे फेसबुक व्हाट्सएप के जरिये नेट पर ढूंढा घर का पता!
उधर जैसे ही सुब्रमण्यम मणि के परिजनों को इनके मिलने की जानकारी मिली सभी ख़ुशी से झूम उठे. आखिर बीस सालों के बाद घर में फिर से ख़ुशी ने दस्तक दी थी. फिर सुचना के आदान-प्रदान से झारखण्ड राज्य के गोड्डा जिला का पता मिला जहाँ उनके परिजन पहुंचे और अपनों से बिछड़े को अपने साथ ले गए!
परिजनों ने होटल मालिक और ढुंढने वाले को दिल से धन्यवाद दिया! जो काम इतने सालों से पुलिस नहीं कर सकी उसे "सोशल मीडिया" ने कर दिखाया!
यहीं कारण था की सोशल मीडिया के असर ने 20 वर्षों का खोया व्यक्ति को उसके परिजनों से मिलाया!
आज "सोशल मीडिया" के ताकत ने अपने अहसास से रु-ब-रु पुरे संसार को करा दिया।

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