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मानव और दानव में एकरूपता एवं घालमेल पर विशेष

मानव और दानव में एकरूपता एवं घालमेल पर विशेष

मानव और दानव में एकरूपता एवं घालमेल पर विशेष

सम्पादकीय

विजय कुमार शर्मा प, च, बगहा बिहार

साथियों,
     इस समय कलियुग में मनुष्य और राक्षस दोनों एक जैसे रूप वाले हो गये हैं जिन्हें जल्दी पहचान पाना आसान नही है।इस समय " मुंह में राम बगल में छूरी" वाले लोग हमारे आपके बीच मौजूद हैं। इस समय आपके साथ परिवार में कौन देवरूप मनुष्य है और कौन हमसे सगा संबंधी बनकर बदला लेने आया है इसे जानना कठिन है।कभी कभी लोग अपनों से जब अधिक दुखित होते हैं तो कहने लगते हैं कि न मालूम यह राक्षस कैसे हमारे परिवार में पैदा हो गया, यह औलाद नहीं दुश्मन है।कलियुग में देववर्ण और राक्षस वर्ण दोनों एक साथ रहते खाते पीते हैं क्योंकि वह अपने गुरु शुक्राचार्य की सलाह पर चल रहे हैं।दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने अपने शिष्यों को यह सलाह तब दी थी जबकि रामावतार और कृष्णावतार में सभी राक्षसों को मार डाला गया था। आत्मा स्वरूप उनके पास गये राक्षसों से उन्होंने कहा था कि तुम लोग अपना रुप देवताओं व देववर्ण मनुष्यों से भिन्न है इसलिए तुम सब लोग मारे गये हो, अब अगर तुम्हें रहना तो जाकर समाज के हर स्तर पर ही नही हर घर में भाई पुत्र पुत्री पति पत्नी के रूप में कब्जा जमा लो और समाज व परिवार को छिन्न भिन्न करके अनाचार पापाचार भ्रष्टाचार के आगोश में डूबो दो।आज के परिवार या समाज को अगर गौर से देखा जाय तो लगता है कि इसमें दो मानसिकता के लोग रहते हैं और वहीं हर स्तर पर कलह पैदा करते रहते हैं।इस समय ऐसे बहुत कम घर परिवार हैं जहाँ पर हमेशा अमनचैन रहती है वरना घर परिवार में सुख से जीना सोना रहना हराम हो जाता है। एक समय था जबकि देववर्णी लड़के की शादी देव वर्ण के लड़के से होती थी और उनसे जो संतानें पैदा होती थी वह वह प्यौर देववर्णी होती थी।राक्षस वर्ण की लड़की की शादी की शुरुआत रावण की मां से हुयी थी।इस समय प्रायः शादियों में एक पक्ष देववर्ण तो दूसरा पक्ष राक्षस वर्ण होता है।आजकल लोग कहते हैं कि अगर एक पक्ष देववर्ण है तो दूसरे को भी देववर्णी बना लेगा लेकिन ऐसा जल्दी होता नही है।दोनों अपने अपने स्वाभाव के अनुरूप जीवन में गतिविधियां संचालित करते है।यहीं कारण हैं कि अधिकांश लोगों का जीवन सुखमय होने की जगह नारकीय व्यतीत होता है।एक समय वह भी आता है जबकि लोग परिवार के व्यवहार से तंग आकर जान दे देते हैं या सबको छोड़कर कहीं भागकर साधू महात्मा हो जाते हैं।राक्षस वर्ण और देववर्ण में घालमेल आज घर परिवार एवं देश प्रदेश को गर्त में ले जा रहा है। सरकार इतने दिनों से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है लेकिन लगा ही पा रही है।भूले भटके को तो समझा बुझाकर वापस लाया जा सकता है लेकिन किसी का स्वाभाव नहीं बदला जा सकता है।

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