
राष्ट्रीय बहुजन समाज मोर्चा का गठन करने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी हुए पंजाधारी
राष्ट्रीय बहुजन समाज मोर्चा का गठन करने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी हुए पंजाधारी
बसपा का अल्पसंख्यक चेहरा रहे और बसपा से निकाले जाने के बाद राष्ट्रीय बहुजन समाज मोर्चा का गठन करने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकीपंजाधारी हो गए हैं। नसीमुद्दीन के साथ-साथ उनकी राष्ट्रीय बहुजन समाज मोर्चा का भी कांग्रेस में विलय हो गया है। बहुजन समाज पार्टी के पूर्व विधायक और मंत्री ओपी सिंह, रघुनाथ प्रसाद, अनिल अवाना, नसीमुद्दीन की पत्नी समेत अन्य ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया है। इसी के साथ समाजवादी पार्टी के विधायक और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव को लेकर भी अटकलें तेज हैं।
हालांकि कांग्रेस के साथ आने के लिए अभी तक न ही शिवपाल ने और न ही कांग्रेस के किसी नेता ने कोई संकेत दिया है। इसकी कोई औपचारिक, अनौपचारिक घोषणा भी नहीं हुई है, लेकिन कांग्रेस नेताओं का उत्साह उछाल ले रहा है। पार्टी के सचिव भी शिवपाल के सवाल पर मुस्करा कर रह गए। उनका कहना है कि कुछ इंतजार कीजिए। अभी तो सिलसिला शुरू भर हुआ है।
भविष्य की कांग्रेस का अंदाजा लगाइए
शिवपाल या अन्य कद्दावर तथा अपनी पार्टी से नाराज चल रहे नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी बल दे दिया। नसीमुद्दीन को राष्ट्रीय मीडिया से रू-ब-रू कराते हुए और बिना किसा का नाम लिए गुलाम नबी ने कहा कि इससे आप आने वाले कांग्रेस के समय का अंदाजा लगा सकते हैं। लोग हमारे नये कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में काम करना चाहते हैं। दूसरे दलों के लोग कांग्रेस में आना चाहते हैं, आ रहे हैं। आजाद ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके सहयोगियों के कांग्रेस में शामिल होने का स्वागत करते हुए कहा कि यह सिलसिला यहीं रुकने वाला नहीं है, यह चलता रहेगा। कांग्रेस एक बार फिर मजबूत पार्टी बनेगी।
कहीं मायावती तो नहीं भड़केंगी
नसीमुद्दीन सिद्दीकी को मायावती ने बसपा से आरोप लगाकर निकाला था। इन आरोपों पर कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कुछ कहना जरूरी नहीं समझा। सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रात गई तो बात गई। दूसरा सवाल गुलाम नबी आजाद से था। जब गुलाम नबी आजाद से पूछा गया कि क्या इससे बसपा सुप्रीमों मायावती नाराज तो नहीं होगी या फिर इसका असर विपक्षी एकता पर तो नहीं पड़ेगा? सवाल के जवाब में गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब महागठबंधन जैसा बड़ा उद्देश्य होता है तो किस पार्टी में कहां से और कौन आया जैसी छोटी बातों को अहमियत नहीं दिया जाता।
आजाद ने कहा कि नसीमुद्दीन को मायावती ने पार्टी से निकाला था। इसके बाद नसीमुद्दीन की हमदर्दी में 90 प्रतिशत लोगों ने बसपा से इस्तीफा दे दिया था। जबकि मायावती ने चुनाव के ऐन वक्त पर कांग्रेस के तत्कालीन विधायकों को तोड़कर बसपा में शामिल कर लिया था। इसके बाद उ.प्र. विधानसभा चुनाव से पहले हम खुद उनके पास मिलकर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव लेकर गए थे। उ.प्र. के प्रभारी कांग्रेस महासचिव ने कहा कि जब कांग्रेस नहीं नाराज हुई तो उन्हें नहीं लगता कि नसीमुद्दीन का कांग्रेस में शामिल होना मायावती को खराब लगेगा।
नसीमुद्दीन ने कहा
मेरे बाप, दादा कांग्रेस को वोट देते थे। मैं ही भटक गया था। अब रास्ते पर आना शुरू हुए हैं। इसी के साथ उनका राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा भी कांग्रेस में शामिल हो गया है। वह पार्टी के कायदे कानून और अध्यक्ष राहुल गांधी समेत वरिष्ठ नेताओं के हर दिशा निर्देश का पार्टी के सच्चे सिपाही की तरह पालन करेंगे। वह पूरी ताकत से कांग्रेस को मजबूत बनाने में योगदान देंगे। नसीमुद्दीन ने इससे पहले अपने साथ समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि अंदर (कांग्रेस पार्टी) आ गए हैं। अब इस पार्टी से अर्थी ही बाहर निकलेगी। अब हमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के हाथ और कांग्रेस पार्टी को मजबूत बनाना है।
क्या है नफा नुकसान
नसीमुद्दीन के कांग्रेस में आने का जितना बड़ा फायदा दिखाई दे रहा है, कांग्रेस के कुछ नेताओं की राय इस मामले में उतनी ही अलग भी है। गुलाम नबी आजाद, राजबब्बर समेत अन्य इसे अच्छा मान रहे हैं। पार्टी के नेताओं का मानना है कि इससे उ.प्र. में अल्पसंख्यक समाज में कांग्रेस को मजबूती मिलेगी। इसके अलावा कांग्रेस के पक्ष में सकारात्मक संकेत जाएगा। नसीमुद्दीन सिद्दीकी जनाधार रखते हैं। उसका भी कांग्रेस को फायदा होगा।
वहीं इस राय को बहुत महत्व न देने वाले कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता अभी इसे समय पर छोड़ देना चाहते हैं। उनका मानना है कि बसपा में मायावती को छोड़कर कोई दूसरा नेता नहीं है। मायावती ने जिस नेता को पार्टी से निकाला उसका अपनी पार्टी या मोर्चा बनाकर करीब-करीब खत्म होता गया। दूसरे नसीमुद्दीन सिद्दीकी की छवि का भी कांग्रेस और उसके कार्यकर्ताओं को नफा नुकसान सहना पड़ेगा।
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