
स्थानीय पार्टी ने भी कांग्रेस से कर लिया किनारा
राकेश द्विवेदी संतकबीर नगर संवाददाता
राष्ट्रीय लोकदल जैसी स्थानीय पार्टी ने भी कांग्रेस से किनारा कर लिया है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पूर्व उत्तर प्रदेश में भी बिहार की तरह भारतीय जनता पार्टी विरोधी गठबंधन बनाने की उम्मीदों को लगे झटके से कांग्रेस की दुश्वारियां भी बढ़ेगी।
सपा व बसपा में अचानक जुगलबंदी से हैरत में कांग्रेस नेताओं का मानना है कि लोकसभा चुनाव होने तक प्रदेश में सियासी हालात काफी बदलेंगे। प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर सपा बसपा गठबंधन को भले ही 'लेनदेन का गठजोड़ बता कर हल्के में ले रहे हो परंतु वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बढ़त पाने की उम्मीदें कमजोर दिखने लगी है। बसपा का समर्थन सपा प्रत्याशियों को मिलने से कांग्रेस का मुख्य मुकाबले में आना मुश्किल होगा।
गत विधानसभा चुनाव में सपा से गठबंधन करते समय दोनों दलों की ओर से दोस्ती लंबी चलने का दावा भी किया गया था। इतना ही नहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव बार बार कांग्रेस से दोस्ती की दुहाई देते रहे हैं। सपा ने जिस तरह बसपा से अचानक दोस्ती की, उससे कांग्रेस तन्हा रह गई है। सपा-बसपा में दोस्ती आगे चलती रही तो कांग्रेस को गठबंधन में शामिल होने के लिए उनकी शर्तें मानने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
रणनीतिक चूक पड़ेगी भारी :-
भाजपा विरोधी गठबंधन में किनारे रहना कांग्रेस की बड़ी रणनीतिक चूक माना जा रहा है। पूर्व प्रदेश महासचिव सुरेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि प्रदेशीय नेता व प्रभारी स्थानीय राजनीतिक गतिविधियों को भांप नहीं पाएं। इसका नुकसान यह होगा कि उपचुनावों में कांग्रेस अपेक्षित वोट हासिल नहीं कर सकेगी और वोट कटुवा जैसी हैसियत बनने का डर बना रहेगा।
0 Response to "स्थानीय पार्टी ने भी कांग्रेस से कर लिया किनारा "
एक टिप्पणी भेजें