
भोजपुरी जगत में तेजी से पांव फैलाता चंपारण का लाल
विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिमी चंपारण बिहार
किसी ने सच ही कहा है करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान यह वाक्य बिल्कुल सटीक बैठता है एक बिल्कुल ही साधारण ब्राह्मण परिवार से निकले विभोर शुक्ला पर
अपनी मेहनत और अनुशासन के बदौलत आज भोजपुरी जगत में बहुत ही तेजी से अपना नाम हर किसी के जुबान पर लाने पर मजबूर कर दिया है इस चंपारण के लाल ने शुरुआती दिनों में बहुत ही कठिन समय से गुजरते हुए दिन दूना रात चौगुना मेहनत किया और पीछे मुड़कर देखने की कोशिश नहीं की बहुत सारी आलोचनाओं को सुन कर भी अनसुना करते हुए अपने रास्ते पर आगे बढ़ता गया ऐसा श्री शुक्ला ने बताया उनकी आंखें तब भर आई जब उन्होंने अपने कठिन समय को याद करते हुए गिने चुने लोगों को ही बताया जिन्होंने उनका साथ दिया नहीं तो आलोचकों की संख्या ज्यादा ही थी फिर भी वह कहते हैं मैं बहुत ही खुश हूं क्योंकि मुझे आलोचक मिले जिनसे मुझे और ही ज्यादा उत्साह और लगन से काम करने का ऊर्जा दिया इन्होंने बीकॉम की पढ़ाई के बाद दिल्ली से म्यूजिक और एक्टिंग क्लास किया फिर अपने जन्म भूमि बगहा आकर अपने साथी कलाकारों के लिए एक मंच तैयार किया शाश्वत सरगम कला संस्कृति मंच के नाम से जिसके बाद उनके निर्देशन में काम कर रही यह मंच बहुत ही प्रशंसा पाई और इनका मार्केट में डिमांड बढ़ गया इसका सारा श्रेय अपने माता पिता और अपने गुरु बालक दास बाबा को देते हैं और साथ ही साथ अपने क्षेत्र के हर एक आदमी को जिनके प्यार और आशीर्वाद के बदौलत लोग बुलाते हैं फिर श्री शुक्ला बताते हैं मैंने BF म्यूजिक इंटरटेनमेंट के नाम से प्रोडक्शन कंपनी खोलें जिससे कई सारे एल्बम का निर्माण कर चुके हैं और अन्य कंपनियों के लिए 60 se अधिक गाने लिख चुके हैं जिनको जाने-माने गायकों द्वारा गाया गया है इतना ही नहीं फिर बताते हैं तीन एलबम के लिए संगीत भी दिया है
उन्होंने यह भी कहा यहां तक पहुंचाने में एक एक आदमी का आशीर्वाद मेरे साथ है और आशीर्वाद बुलंदी पर पहुंचाएगा
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