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यूपीकोका पर प्रवर समिति का प्रतिवेदन विधान परिषद में प्रस्तुत, समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने प्रतिवेदन के औचित्य पर सवाल किये खड़े

यूपीकोका पर प्रवर समिति का प्रतिवेदन विधान परिषद में प्रस्तुत, समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने प्रतिवेदन के औचित्य पर सवाल किये खड़े

राकेश द्विवेदी, संवाददाता।

यूपीकोका पर प्रवर समिति का प्रतिवेदन सोमवार को विधान परिषद में प्रस्तुत किया गया। उच्च सदन में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने प्रतिवेदन के औचित्य पर सवाल खड़े किये। हालांकि जानकारों का कहना है कि प्रवर समिति के प्रतिवेदन के बाद यूपीकोका के लागू होने का रास्ता साफ हो गया है।

भोजनावकाश के बाद विधान परिषद में नेता सदन व उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा ने यूपीकोका पर प्रवर समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उसी समय सपा के शतरुद्र प्रकाश ने प्रतिवेदन पर सवाल खड़े किये। यह कहते हुए कि प्रवर समिति के बहुमत के निर्णय के बिना प्रतिवेदन को सदन में रख दिया गया, न ही प्रवर समिति की बैठक में सदस्यों की ओर से विधेयक में सुझाये गए संशोधनों पर विचार किया गया। नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने यूपीकोका को काला कानून बताते हुए कहा कि प्रवर समिति से इस बिल को मनमाने तरीके से पारित कराया गया है। लिहाजा इसे प्रवर समिति को दोबारा भेजा जाए। सपा के ही रविशंकर सिंह 'पप्पू ने कहा कि प्रतिवेदन के पेज नंबर 46 पर यह उल्लेख है कि समिति के सदस्य के तौर पर बलराम यादव ने कहा है कि उन्होंने अपना संशोधन समय से और नियमानुसार दिया है।

सदन के अधिष्ठाता सुनील कुमार चित्तौड़ ने प्रवर समिति और सदन के वरिष्ठतम सदस्य ओम प्रकाश शर्मा से उनकी टिप्पणी जाननी चाही। इस पर ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि उन्हें बैठक से एक दिन पहले उसमें उपस्थित होने के लिए सूचना मिली थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समिति के सदस्यों को इतना अवसर मिले कि यदि वे चाहें तो अपना संशोधन प्रस्तुत कर सकें।

नेता सदन डॉ.दिनेश शर्मा ने विपक्ष की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि ओम प्रकाश शर्मा के कथन से यह साबित हो गया है कि उन्हें बैठक में शामिल होने के लिए सूचना दी गई थी।

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