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नारी सशक्तिकरण के लिए नारी के साथ साथ पुरूष जाति का सहयोग बहुत जरूरी:- रेनू नैन

नारी सशक्तिकरण के लिए नारी के साथ साथ पुरूष जाति का सहयोग बहुत जरूरी:- रेनू नैन

नारी सशक्तिकरण के लिए नारी के साथ साथ पुरूष जाति का सहयोग बहुत जरूरी:- रेनू नैन

रेनू नैन, खेदड़, हिसार ,हरियाणा

आज के सामाजिक  माहौल को देखकर हम कह सकते है कि कहीं ना कहीं बदलाव जरूर आया है लेकिन ये कोई नई बात नही है और न ही इन बदलावों को हम इंसानी करामात कह सकते है   परिवर्त समय का नियम है।लेकिन इस जरा से परिवर्तन से कुछ नही हुआ हम देखते हैं आज भी महिलाओं पर अत्याचार होते हैं। हालांकि तरक्की के मामले में हमारा हिंदुस्तान एक अर्शी ख़्वाब देख रहा है लेकिन धरातल की वास्तविक तस्वीर को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते।आज भी हमारी बहन बेटियां सुरक्षित नहीं है।आज भी उनको पूरी आजादी नही है, उन पर लगाई गई अनेकों अनेक पाबंदियों ने ना सिर्फ उनकी आजादी छीन ली है, बल्कि उनके हुनर, उनकी प्रतिभा को भी दबा कर रख दिया।।
कई बार मैं सोचती हूँ कि मनमर्जी करने का हक सिर्फ पुरुषों को ही क्यों है, रौबीली तालीम सिर्फ लड़को को ही क्यों दी जाती है??

हम देखते हैं जन्म से लेकर उसके पालन पोषण में,उसकी पढ़ाई लिखाई मे, ओर उसकी पसंद नापसन्द को लेकर हमेशा हमारी सोच में संकीर्णता झलकती है।
जब तक हमारी सोच नही बदलेगी तब तक बदलाव भी सम्भव नहीं है।जब तक बेटी को बोझ कहा जाएगा तब तक ऐसे ही समाज गर्त की तरफ जाता रहेगा।बढ़ते अपराधों के लिए हम सिर्फ लड़कियों के आचार व्यवहार या फिर सिर्फ उनके तनवसन को जिम्मेदार नही कह सकते, जब तक लड़कों को संस्कार नही दिए जाएंगे उनको अच्छी तालीम नही दी जाएगी तब तक अपराध नही रुकेंगे।
मुझे लगता है सबसे ज्यादा जरूरी है हम अपने सदियों पुराने रूढ़िवादी विचारों का त्याग करें और एक साफ सुथरा सामाजिक  माहौल तैयार करें जिसमें किसी को कोई डर ना हो सम्पूर्ण समाज एक परिवार की भांति हो ताकि हर बेटी, हर बहन अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सके और खुलकर अपनी जिंदगी जी सके ,अपनी प्रतिभा को निखार सके। आज हमारे लिए बहुत जरूरी हो गया है कि हमारे विचारों पर जो संकीर्णता की धुंधली सी परत चढ़ी हुई है उसको दूर कर एक नए प्रभात के आगमन को सुगम बनाये,एक ऐसी सुबह जिसमें सबको समान रोशनी मिले।।
टीवी चैनलों और सोशल मीडिया को भी चाहिए कि वो समाज को ऐसी सामग्री ना परोसे जो हमारे सामाजिक माहौल को दूषित करे,समाज को अंदर से खोखला करे या हमारे युवाओं के मन को अस्थिर करे ,उनको अपने लक्ष्य से भटकाए।।
मुझे लगता है कि अगर हमारे समाज में लड़कों के साथ साथ लड़कियों को भी बराबरी का दर्जा दिया जाएगा तो निश्चित रूप से हमारी बेटियां भी अपने हक को पहचान कर अपनी अलग पहचान बनाने में सफल होगी ।
यदि हम अपने रूढ़िवादी विचारों ओर संकीर्ण सोच की दलदल से बाहर आने की कोशिश करेंगे तो सम्भव है कि आज के इस बिगड़ते माहौल को हम समय रहते संभाल सकते हैं।।
"कि चलती रही जो
अंधेरों में भी,
वो ख़ुद सूरज,चाँद, सितारा बन जाएगी,
तू उसे दे जरा उसके हिस्से का उजाला।।"

नारी सशक्तिकरण के लिए ख़ुद नारी के साथ साथ पुरूष जाति का सहयोग बहुत जरूरी है।इतिहास गवाह है जिन जिन बेटियों को अवसर मिला वो बेटियां अपने समाज को सकारात्मक दिशा में लेकर गई हैं।यदि हम भी समाज मे सकारात्मक बदलाव चाहते हैं तो पहल खुद से करनी होगी अपनी अपनी पत्नी को अपनी दासी नही अपनी साथी समझना होगा,अपनी मां को सिर्फ पालन पोषण करने वाली नहीं बल्कि भगवान से भी बढ़कर उसको सम्मान देना होगा, बहन को बस घर का काम करने वाली नही बल्कि अपना मान सम्मान समझना होगा ,बेटियों को बोझ या पराया धन नही समझना बल्कि उनको अवसर ओर आजादी देनी होगी ताकि पूरा नारी समाज अपनी ताकत और शक्ति का समाजहित में प्रयोग कर सके,अपने आपको हीन ना समझे।तभी हम सही अर्थों में हमारे समाज को एक स्वर्णिम सवेरा दे सकते हैं।।

       

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