
अगर सच लिखना बगावत है तो हाँ मै बागी हूँ
अगर सच लिखना बगावत है तो हाँ मै बागी हूँ
विजय कुमार शर्मा की कलम से
पत्रकारिता से दलाली तक का सफर :-
जिस प्रकार हमारा देश विकास की ओर बढता जा रहा है वैसे वैसे हम स्वार्थी होते जा रहे है।जो कार्य कभी समाज सेवा हुआ करते थे स्वार्थियो ने उन्हे भी व्यवसाय बना दिया ।बात चाहे स्वास्थ की हो या शिक्षा की या आश्रम की या बालनिकेतन की या देश के लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकार की सभी व्यसाय खूब फल फूल रहे है । आजादी के समय पत्रकारिता एक मिशन हुआ करती थी परंतु आजादी के बाद शुरू हुआ पत्रकारो को गुलाम बनाने का कार्य जितने बड़े समाचार पत्र थे सभी सरकार की उदासीनता के कारण दिन प्रति दिन पूजिपतियो के हाथो बिक जाते रहे जिस के कारण निर्भिक व निडर होकर लिखने वाले पत्रकार रोटी बोटी के चक्कर मे या तो पूजिपतियो के पालतू हो गए या *पत्रकारिता से सन्यास लेकर मजदूरी जैसे दूसरे कार्य करने लगे।
फिर शुरू हुआ राजनीति व दलाली मे दखल धीरे धीरे पत्रकारिता जो एक मिशन हुआ करती थी या देश का चौथा स्तम्भ हुआ करती थी वो मात्र पूजिपतियो,मंत्रियो या थानो की चौखट तक सीमित रह गई।चंद लोगो ने अपने मालिको को खुश करने के लिए इसे ऐसा बर्बाद किया कि कल तक जो पत्रकार समाज का प्रहरी हुआ करता था आज सोशल मीडिया पर वो भाड़,दलाल जैसे शब्दो से सम्बोधित किया जाता है।कल तक जिस की कलम से डर कर भष्टाचारी कांपते थे आज उस की औकात मात्र१चाय रह गई है।आज दिन दहाड़े किसी पत्रकार की हत्या होती है तो हम उस के दोशियों को सजा दिलाने के बजाए कैडिल मार्च निकालते है अगर १ईमानदार पत्रकार किसी भष्ट अधिकारी या कर्मचारी के भष्टाचार की पोल खोलता है तो १०दलाल मिल कर बड़े बैनर पर उसका गुडवर्क छाप कर अपनी वफादारी का सबूत देते है ।कारण सिर्फ हम दौलत कमाने मे इतने अंन्धे हो चुके हैं कि हमे अच्छे बुरे व अपने पराए की पहचान नही रही ।
जो ईमानदार समाचार पत्र या पत्रकार है तो वो न तो कभी आगे बढ पाते है न तो दलालो की तरह दिन दूनी रात चौगुनी कमाई कर आगे बढ पाते है।
जिस के कारण धीरे धीरे सच्ची पत्रकारिता समाप्ति की ओर अग्रसर है जो तलवे चाटते है उन्हे सरकारी मान्यता व सभी सुविधाएं समय से पहले प्राप्त हो जाती है।
सच्चाई छापने का खमियाजा या जेल या मौत
बेईमानों को सच एक गाली समान लगता है।
एक स्वभिमानी व्यक्ति भूखा मरना या गुमनाम रहना पसंद करेगा न कि किसी के तलवे चाटना।
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