
फिर लटक सकता है पंचायत चुनाव का भविष्य हाईकोर्ट जाने की तैयारी में भाजपा
कोलकाता
फिर लटक सकता है पंचायत चुनाव का भविष्य
हाईकोर्ट जाने की तैयारी में भाजपा
कोलकाता : आगामी 14 मई को प्रस्तावित पंचायत चुनाव का भविष्य एक बार फिर लटकता दिख रहा है। एक ओर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर वाममोर्चा और पीडीएस की दाखिल याचिका पर सुनवाई के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट तैयार हो गया है, तो दूसरी ओर प्रदेश भाजपा ने एक बार फिर हाईकोर्ट में याचिका लगाकर 1 दिन में मतदान संपन्न कराने के खिलाफ याचिका लगाने का निर्णय लिया है। इसकी जानकारी प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता व अधिवक्ता प्रताप बनर्जी ने शनिवार को राज्य चुनाव आयुक्त अमरेंद्र कुमार सिंह से मुलाकात के बाद दी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में रमजान का महीना चलने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने 5 स्तरीय चुनाव को मंजूरी दी थी तो फिर राज्य चुनाव आयोग किस आधार पर रमजान से पहले मतदान संपन्न कराने के लिए 1 दिन में चुनाव पर आमादा है। प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकार के दबाव के कारण राज्य चुनाव आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को 1 दिन में कराने का निर्णय लिया है, जबकि मतदाताओं की सुरक्षा के लिए राज्य के पास पर्याप्त संख्या में पुलिस नहीं है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान ममता बनर्जी से पूछा है कि आखिर दूसरे राज्यों से पुलिस लाने की क्या जरूरत है जबकि राज्य में चुनाव के लिए केंद्रीय बलों को लगाया जा सकता है? दिलीप ने पूछा कि आखिर केंद्रीय बलों से ममता सरकार को समस्या क्या है? किस डर की वजह से केंद्रीय जवानों की तैनाती नहीं हो रही है यह साफ होना चाहिए। प्रताप जी ने बताया कि 1 दिन में पंचायत चुनाव कराना सही नहीं है। ना तो लोग मतदान कर पाएंगे और ना ही सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित हो सकेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि शनिवार को चुनाव आयुक्त से बैठक के बाद यह बात साफ हो गई है कि सुरक्षा के मामले में चुनाव आयुक्त को अंधेरे में रखा गया है। उन्हें अभी तक यह जानकारी नहीं है कि मतदान के दौरान सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी। चुनाव कराने के नाम पर मजाक से भी बदतर है। उल्लेखनीय है कि इसके पहले घोषित हुई अधिसूचना में 3 दिनों में पंचायत चुनाव के लिए मतदान होने थे लेकिन नई तारीखों की घोषणा के कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार के दबाव में राज्य चुनाव आयोग ने रमजान से पहले मतदान करवाने के लिए केवल एक दिन में ही पूरे राज्य में चुनाव की घोषणा कर दी है। राज्य में 58000 से अधिक मतदान बूथ हैं जबकि सशस्त्र पुलिस के जवानों की संख्या 40000 से भी कम है। हालांकि राज्य के डीजी सुरजीत कर पुरकायस्थ ने सुरक्षा सुनिश्चित करने का आश्वासन जरूर दिया है लेकिन नामांकन के बाद से राज्य भर में जिस तरह से हिंसा का दौर जारी है इसे देखते हुए विपक्ष के मन में डर पैठ चुका है। ज्ञात हो कि बांकुड़ा में कई निर्दलीय उम्मीदवारों ने तृणमूल के गुंडों से डरकर झारखंड में जाकर शरण लिया है। ऐसे में सुरक्षा को लेकर प्रदेश भाजपा की ओर से अगर कोर्ट में याचिका लगाई जाती हैं तो संभव है कि एक बार फिर चुनाव का भविष्य लटक जाए।
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