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देश दुनिया में फैल रहे साम्प्रदायिक धार्मिक उन्माद के बीच "जो रब है वही राम" का संदेश देते देवा शरीफ के हाजी वारिस सरकार पर विशेष-

देश दुनिया में फैल रहे साम्प्रदायिक धार्मिक उन्माद के बीच "जो रब है वही राम" का संदेश देते देवा शरीफ के हाजी वारिस सरकार पर विशेष-

भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी
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देश दुनिया में फैल रहे साम्प्रदायिक धार्मिक उन्माद के बीच "जो रब है वही राम" का संदेश देते देवा शरीफ के हाजी वारिस सरकार पर विशेष-
सुप्रभात-सम्पादकीय
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साथियों,
      आज जबकि दुनिया में हिन्दू मुसलमानों के बीच धर्म सम्प्रदाय खुदा भगवान के नाम पर नफरत फैलाकर कौमी एकता को खंडित करने की कोशिश हो रही है और रब और राम के बीच में खाई खोदकर लोगों को आपस में लड़ाया जा रहा है। वहीं अवध क्षेत्र से जुड़े देवी देवताओं एवं सूफी संतों की तपोभूमि बारहक्षेत्र बाराबंकी की भूमि पर बसे पवित्र देवा क्षेत्र में 1819 में जन्मे हाजी वारिस अली शाह या सरकार वारिस का संदेश "जो रब है वही राम है" का संदेशा दुनिया को इंसानियत की राह दिखाने वाला है। हाजी वारिस सरकार आज के बदलते दौर में दुनिया भर में कौमी एकता भाईचारे एवं आपसी सौहार्द के प्रतीक बने हुए हैं और उनके दर पर माथा टेकने हिन्दू मुसलमान सिख सभी आते हैं।हाजी वारिस  इंसानियत के पुजारी थे जो मुस्लिम पर्वो के साथ होली दीपावली का पर्व भी धूमधाम से मनाते थे जो परम्परा आज भी यथावत चल रही है और होली में रंग अबीर गुलाल तथा दीपावली में रोशनी की जाती है और दीप मालाओं से देवा रौनक हो जाता है। "जो रब वहीं राम है" का पैगाम दुनिया भर में देने के लिए हाजी वारिस ने तमाम देशों की यात्राएँ की और बाद में देवा बाराबंकी की माटी पर वापस लौटकर मानवता की अलख जगाने लगे। उनका इंतकाल 1905 के आसपास हुआ लेकिन उनका नाम एवं उनका संदेशा आज भी दुनिया में जिंदा है।इसी तरह बाराबंकी की अध्यात्मिक भूमि पर विष्णु अवतार माने जाने वाले संत जगजीवन साहेब की तपोभूमि कोटवाधाम भी है जो हिन्दू मुस्लिम दोनों मजहबों की एकता की मिशाल बना हुआ है और दोनों सम्प्रदाय के लोग इनके अनुयायी है। यहाँ के शिष्यों के हाथ में तीन रंगों वाला धागा हिन्द मुस्लिम एकता का परिचायक है और संत फकीर मलामत शाह और जगजीवन साहेब की दोस्ती आज भी दुनिया को भाईचारे अमन का पैगाम दे रही है।इतना ही नहीं बाराबंकी की तपोभूमि पर ही सप्त ऋषियों की कर्मस्थली सतरिख तथा रामनगर के महादेवा में लोधेश्वर तथा हैदरगढ़ क्षेत्र के औसानेश्वर में  भगवान भोलेनाथ का अवतरण यहां की माटी को देवभूमि बना रहा है। रामसनेहीघाट में बाबा रामसनेहीदास तथा हैदरगढ़ के बेहटा गाँव में गोमती नदी के तट पर विराजमान बाबा टीकाराम जैसे अनगिनत संत महात्मा एवं सूफी संत बाराबंकी को भगवान के बाराह रूप में अवतरण के साक्षी बने हुए हैं।यही कारण है कि इस देवी देवताओं सूफी संतों एवं ईश्वरीय अवतरणों वाली माटी को माथे पर चढ़ाकर अपने जीवन को धन्य करने देश के कोने से हिन्दू मुस्लिम सभी यहां पर आते हैं। सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दर पर हर साल मेला लगता है जो एक माह का चलता है और दुनिया भर के लोगों के साथ नेता अभिनेता मंत्री और सरकारी कारकुन दरबार में हाजिरी लगाने आते हैं। इस मेले में देश के हर कोने की झलक दिखाई पड़ती है और लगता है कि पूरा भारत देश अपने अपने रंग बिखरने सूक्ष्म रूप धारण करके यहां पर आ जाता है और देश की विविधता बाबा की ड्योढ़ी पर आकर एकाकार हो जाती है। इस मेले की देखरेख सरकार करती है और जायरीनों के बेहतर सुख सुविधा उपलब्ध कराती है एवं सरकारी योजनाओं का प्रदर्शन भी करती है। इस समय हाजी वारिश सरकार की जन्म एवं कर्मस्थली पर मेला लगा हुआ है और दुनिया भर से लोग उनकी ड्योढ़ी पर हाजिरी लगाने के लिए आ रहे हैं।हम देवी देवताओं सूफी संतों की पावन भूमि एवं भगवान बाराह क्षेत्र में आने वाले सभी भक्तों जायरीनों का तहरदिल से स्वागत करते हैं और हिन्दू मुसलमान को आपस में लड़ाकर साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने वालों को हाजी वारिस का संदेशा जो रब है वहीं राम है देना चाहते हैं क्योंकि हम सभी इंसान एक परमपिता परमात्मा की संतान है और नाम भले ही अनेक हो लेकिन सबका मालिक एक होता है। कोई उसे राम कोई रब तो कोई परम ज्योति तो कोई उसे नूरे इलाही तो कोई उस मूनलाइट कहता है।
         

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