-->
विधानसभा चुनाव 2019: आजसू बनी बागियों का नया ठौर

विधानसभा चुनाव 2019: आजसू बनी बागियों का नया ठौर

झारखंड में 2019 विधानसभा चुनाव के पहले बड़ी पार्टियों से टिकट कटने पर नेताओं के लिए आजसू हॉटकेक बनकर उभरा है। भाजपा ने छतरपुर सीट पर राधाकृष्ण किशोर का टिकट काटा तो उन्होंने आजसू का दामन थामा, छतरपुर से दावेदारी ठोक बैठे।
महागठबंधन में पाकुड़ की सीट कांग्रेस के खाते में आयी, ऐसे में साल 2009 में झामुमो से जीतकर विधानसभा पहुंचे अकील अहमद ने पार्टी को बाय-बाय कर आजसू का दामन थाम दिया। अकील का मुकाबला अब पाकुड़ में कांग्रेस के कद्दावर नेता आलमगीर आलम से होगा। आलमगीर आलम ने 2014 के विधानसभा चुनाव में अकील अहमद को हराया था।
उसी तरह घाटशिला की सीट भी महागठबंधन में झामुमो के खाते में गई है। जिसके बाद कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व में घाटशिला विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके प्रदीप बलमुचू भी बागी हो गए। प्रदीप बलमुचू ने भी गुरुवार को आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो की मौजूदगी में पार्टी का दामन थाम दिया। आजसू ने विधानसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा, कांग्रेस सभी को झटका देना शुरू किया है। जानकारी के मुताबिक, जामताड़ा भाजपा के नेता तरुण गुप्ता, हटिया में पूर्व में चुनाव लड़ चुकी एक महिला नेत्री समेत कई नेता आजसू के संपर्क में हैं।
2014 में झाविमो से जुड़े थे बागी, जीतने के बाद भाजपा का दामन थामा
साल 2014 के चुनाव में झाविमो ने कई बागियों को अपने सिंबल पर टिकट दिया था। चंदनकियारी में भाजपा से जुड़ने के बाद अमर कुमार बाउरी को टिकट नहीं मिला था। जिसके बाद भाजपा छोड़ बाउरी झाविमो के टिकट पर मैदान में उतरे थे। बाउरी ने तब एनडीए के प्रत्याशी आजसू नेता उमाकांत रजक को हराया। जीत के बाद अमर कुमार बाउरी ने भाजपा का दामन थाम लिया। इसके बाद रघुवर सरकार में मंत्री बने। साल 2014 में आजसू के बागी नवीन जायसवाल हटिया, जेएमएम छोड़कर गणेश गंझू सिमरिया से झाविमो के टिकट पर लड़े। इन लोगों ने भी जीत के बाद भाजपा का दामन थाम लिया। 2009 में भी भाजपा और कांग्रेस से बागी हुए कई नेताओं ने झाविमो से चुनाव लड़ा था। तब पार्टियों से टिकट कटने के बाद नेताओं की पहली पसंद झाविमो हुआ करती थी।

Ads 1

TOP CONTENT

ADS 3

ADS 4