
विधानसभा चुनाव 2019: महज तीन चुनाव ही देख सका जरीडीह विधानसभा क्षेत्र
शनिवार, 16 नवंबर 2019
आजादी के बाद एकीकृत बिहार राज्य में 1977 से पूर्व तक जिले का जरीडीह विधानसभा क्षेत्र था। 1977 के बाद यह तीन हिस्सों में बंट गया। जरीडीह प्रखंड बेरमो, पेटरवार प्रखंड गोमिया और गोला प्रखंड की छह पंचायतें रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में चली गईं।
आजादी के बाद जरीडीह विधानसभा क्षेत्र में तीन बार चुनाव हुए। पहली बार 1967 और दूसरी बार 1969 में यहां से रामगढ़ राज परिवार की शशांक मंजरी विधायक चुनी गईं, जबकि तीसरी बार 1972 में छत्रु राम महतो भारतीय जनता संघ (बीजेएस) से चुनाव जीते थे। 1977 में विधानसभा क्षेत्र का अस्तित्व खत्म हो गया। जरीडीह बेरमो विधानसभा क्षेत्र में शामिल हो गया और गोमिया नया विधानसभा क्षेत्र के रूप में सामने आया। गोमिया से पहली बार छत्रु राम महतो जनता पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए। हालांकि राज्य गठन के बाद से जरीडीह को ही विधासभा क्षेत्र बनाने का मांग उठती रही है।
मंजरी को पहले चुनाव में सरयू प्रसाद ने दी थी टक्कर
1967 में होने वाले पहले चुनाव में रामगढ़ राज परिवार की शशांक मंजरी को माराफारी स्टेट के जमींदार ठाकुर सरयू प्रसार्द ंसह ने कड़ी टक्कर दी थी। दोनों प्रत्याशी निर्दलीय थे। इनकी अपने-अपने क्षेत्र में लोगों के बीच लोकप्रियता थी। इस चुनाव में शंशाक मंजरी को 4537 और ठाकुर सरयू को 4130 वोट मिले थे। जीत का अंतर इस चुनाव में काफी कम था। इस चुनाव में छत्रुराम महतो 3699 मत लाकर तीसरे स्थान पर थे।
दूसरे चुनाव 1969 में शंशाक मंजरी को 7456, छत्रुराम महतो को 6495 और ठाकुर सरयू प्रसाद को 4156 वोट मिले थे। तीसरे चुनाव 1972 में विधायक बने छत्रुराम महतो को 8552, सीपीआई के मंजूर हसन खान को 8346 और ठाकुर सरयू प्रसाद सिंह को 7296 वोट मिले थे।
रामगढ़ राज परिवार का लाभ मिला मंजरी को
जरीडीह विधानसभा क्षेत्र में जरीडीह प्रखंड के अलावा पेटरवार और गोला प्रखंड की कई पंचायतें आती थीं। रामगढ़ राज परिवार से आने वाली शंशाक मंजरी को दो बार विधायक चुना गया। 1972 में बीजेएस की टिकट पर मैदान में उतरे छत्रुराम महतो को जीत मिली। इस चुनाव में उनकी कड़ी टक्कर सीपीआई के मंजूर हसन खान से हुई थी। महतो को 8552 और खान को 8346 मत मिले थे।
आजादी के बाद जरीडीह विधानसभा क्षेत्र में तीन बार चुनाव हुए। पहली बार 1967 और दूसरी बार 1969 में यहां से रामगढ़ राज परिवार की शशांक मंजरी विधायक चुनी गईं, जबकि तीसरी बार 1972 में छत्रु राम महतो भारतीय जनता संघ (बीजेएस) से चुनाव जीते थे। 1977 में विधानसभा क्षेत्र का अस्तित्व खत्म हो गया। जरीडीह बेरमो विधानसभा क्षेत्र में शामिल हो गया और गोमिया नया विधानसभा क्षेत्र के रूप में सामने आया। गोमिया से पहली बार छत्रु राम महतो जनता पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए। हालांकि राज्य गठन के बाद से जरीडीह को ही विधासभा क्षेत्र बनाने का मांग उठती रही है।
मंजरी को पहले चुनाव में सरयू प्रसाद ने दी थी टक्कर
1967 में होने वाले पहले चुनाव में रामगढ़ राज परिवार की शशांक मंजरी को माराफारी स्टेट के जमींदार ठाकुर सरयू प्रसार्द ंसह ने कड़ी टक्कर दी थी। दोनों प्रत्याशी निर्दलीय थे। इनकी अपने-अपने क्षेत्र में लोगों के बीच लोकप्रियता थी। इस चुनाव में शंशाक मंजरी को 4537 और ठाकुर सरयू को 4130 वोट मिले थे। जीत का अंतर इस चुनाव में काफी कम था। इस चुनाव में छत्रुराम महतो 3699 मत लाकर तीसरे स्थान पर थे।
दूसरे चुनाव 1969 में शंशाक मंजरी को 7456, छत्रुराम महतो को 6495 और ठाकुर सरयू प्रसाद को 4156 वोट मिले थे। तीसरे चुनाव 1972 में विधायक बने छत्रुराम महतो को 8552, सीपीआई के मंजूर हसन खान को 8346 और ठाकुर सरयू प्रसाद सिंह को 7296 वोट मिले थे।
रामगढ़ राज परिवार का लाभ मिला मंजरी को
जरीडीह विधानसभा क्षेत्र में जरीडीह प्रखंड के अलावा पेटरवार और गोला प्रखंड की कई पंचायतें आती थीं। रामगढ़ राज परिवार से आने वाली शंशाक मंजरी को दो बार विधायक चुना गया। 1972 में बीजेएस की टिकट पर मैदान में उतरे छत्रुराम महतो को जीत मिली। इस चुनाव में उनकी कड़ी टक्कर सीपीआई के मंजूर हसन खान से हुई थी। महतो को 8552 और खान को 8346 मत मिले थे।