
बिना निबंधन दुकान-प्रतिष्ठान चलाने वालों पर होगी कार्रवाई
गुरुवार, 14 नवंबर 2019
श्रम संसाधन विभाग से निबंधन किए बिना शहरों में दुकान-प्रतिष्ठान चलाने वालों पर शिकंजा कसेगा। विभाग ऐसे दुकानों की पहचान कर उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करेगा। अगर दुकानों में बच्चों से काम लिया जा रहा होगा तो वैसे लोगों पर भी सख्त कार्रवाई होगी। उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है।
बुधवार को विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार के सभी शहरी क्षेत्रों में जितने भी दुकान या प्रतिष्ठान हैं, उनका श्रम विभाग से निबंधन अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं है तो इसे सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। दुकान खोलने वालों के बीच जागृति लाने के लिए माइक से घोषणा कराई जाएगी। बैनर-पोस्टर के माध्यम से लोगों को जानकारी दी जाएगी। उनसे यह भी अनुरोध किया जाएगा कि वे अपने दुकानों में 14 साल से कम उम्र के बच्चों को काम पर नहीं रखें। 14 साल से कम आयु के बच्चों को कार्य पर रखना बाल श्रम कानून का उल्लंघन है। इसमें वे जेल तक जा सकते हैं।
मंत्री ने कहा कि विभाग दुकान एवं प्रतिष्ठान, लेबर लाइसेंस, मोटर एक्ट अधिनियम को और सरल बनाने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है। श्रमायुक्त की अध्यक्षता में संयुक्त श्रमायुक्त, उप श्रमायुक्त और सहायक श्रमायुक्त की टीम 15 दिनों में इस पर अपनी रिपोर्ट देंगे। मंत्री को अधिकारियों ने बताया कि भागलपुर, बक्सर, मुंगेर, लखीसराय के शहरी क्षेत्र सहित कई निकायों जैसे-जमालपुर, भभुआ, सुल्तानगंज बालश्रम मुक्त घोषित किए जा चुके हैं। बिहार के कुछ और जिलों के शहरी क्षेत्रों में घरेलू क्षेत्र को भी बालश्रम मुक्त करने के अभियान पर काम शुरू हो चुका है।मंत्री ने बिहार से बाहर काम करने वाले मजदूरों यानी प्रवासी श्रमिकों का जिलावार आंकड़ा बनाने को कहा, ताकि किसी घटना या दुर्घटना के समय सरकार उनकी मदद कर सके। भवन निर्माण कामगार श्रमिकों के निबंधन का नवीनीकरण जल्द पूरा करने को कहा। श्रम प्रवर्तन पदाधिकारियों को पंचायतों में जाकर शिविर लगाने को कहा, ताकि घरेलू कामगार को शताब्दी योजना का लाभ मिल सके। बैठक में अपर मुख्य सचिव सुधीर कुमार, निदेशक, नियोजन एवं प्रशिक्षण-सह-श्रमायुक्त धर्मेन्द्र सिंह सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
बुधवार को विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार के सभी शहरी क्षेत्रों में जितने भी दुकान या प्रतिष्ठान हैं, उनका श्रम विभाग से निबंधन अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं है तो इसे सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। दुकान खोलने वालों के बीच जागृति लाने के लिए माइक से घोषणा कराई जाएगी। बैनर-पोस्टर के माध्यम से लोगों को जानकारी दी जाएगी। उनसे यह भी अनुरोध किया जाएगा कि वे अपने दुकानों में 14 साल से कम उम्र के बच्चों को काम पर नहीं रखें। 14 साल से कम आयु के बच्चों को कार्य पर रखना बाल श्रम कानून का उल्लंघन है। इसमें वे जेल तक जा सकते हैं।
मंत्री ने कहा कि विभाग दुकान एवं प्रतिष्ठान, लेबर लाइसेंस, मोटर एक्ट अधिनियम को और सरल बनाने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है। श्रमायुक्त की अध्यक्षता में संयुक्त श्रमायुक्त, उप श्रमायुक्त और सहायक श्रमायुक्त की टीम 15 दिनों में इस पर अपनी रिपोर्ट देंगे। मंत्री को अधिकारियों ने बताया कि भागलपुर, बक्सर, मुंगेर, लखीसराय के शहरी क्षेत्र सहित कई निकायों जैसे-जमालपुर, भभुआ, सुल्तानगंज बालश्रम मुक्त घोषित किए जा चुके हैं। बिहार के कुछ और जिलों के शहरी क्षेत्रों में घरेलू क्षेत्र को भी बालश्रम मुक्त करने के अभियान पर काम शुरू हो चुका है।मंत्री ने बिहार से बाहर काम करने वाले मजदूरों यानी प्रवासी श्रमिकों का जिलावार आंकड़ा बनाने को कहा, ताकि किसी घटना या दुर्घटना के समय सरकार उनकी मदद कर सके। भवन निर्माण कामगार श्रमिकों के निबंधन का नवीनीकरण जल्द पूरा करने को कहा। श्रम प्रवर्तन पदाधिकारियों को पंचायतों में जाकर शिविर लगाने को कहा, ताकि घरेलू कामगार को शताब्दी योजना का लाभ मिल सके। बैठक में अपर मुख्य सचिव सुधीर कुमार, निदेशक, नियोजन एवं प्रशिक्षण-सह-श्रमायुक्त धर्मेन्द्र सिंह सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।