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हेमंत ने साबित की झारखंड में पिता की विरासत को आगे ले जाने की काबिलियत

हेमंत ने साबित की झारखंड में पिता की विरासत को आगे ले जाने की काबिलियत

हेमंत सोरेन रविवार (29 दिसंबर) को दूसरी बार से झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। यह एक संयोग ही है कि झारखंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हेमंत सोरेन ने पांच साल पहले 23 दिसंबर (जिस दिन चुनावी नतीजे आए) के ही दिन झारखंड विधानसभा का चुनाव हारने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। ठीक पांच वर्ष बाद भाजपा जहां गठबंधन विहीन चुनाव के मोर्चे पर उतरी और बुरी तरह हारी वहीं झामुमो के नेता सोरेन ने कांग्रेस और राजद के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा और पूर्ण बहुमत हासिल किया। अब झारखंड बनने के 19 वर्ष बाद पहली बार झामुमो भी चुनाव पूर्व के अपने सहयोगियों के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है।                        

हेमंत ने जिस प्रकार 2014 की भूल को सुधारते हुए लोकसभा चुनाव से पहले ही महागठबंधन तैयार किया और उसी समय राजनीतिक परिपक्वता दिखाते हुए राज्य में बड़ी पार्टी होते हुए कांग्रेस को अधिक सीटें लड़ने को दीं। विपक्ष के नेता के तौर पर हेमंत सोरेन दिसंबर 2014 से अब तक जन मुद्दों की बात करते रहे और उन्होंने विशेषकर आदिवासियों की जमीन, जंगल की बात की और भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन की राज्य सरकार की कोशिशों का जमकर विरोध किया जिससे उन्हें गरीबों और आदिवासियों का भरपूर समर्थन मिला।

हेमंत सोरेन के राजनीतिक सफर पर एक नजर
* हेमंत सोरेन ने 38 वर्ष की उम्र में पहली बार 13 जुलाई, 2013 को झारखंड के मुख्यमंत्री का पद संभाला था
* इस पद पर 23 दिसंबर, 2014 तक बने रहे और कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर वह 28 दिसंबर, 2014 तक पद पर बने रहे
* 10 अगस्त 1975 को जन्मे सोरेन पूर्व केंद्रीय मंत्री और झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन के पुत्र हैं
* हेमंत ने यहां बीआईटी में इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया था, लेकिन वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर सके
* 24 जून, 2009 से चार जनवरी, 2010 तक झारखंड से राज्यसभा के सदस्य रहे
* हेमंत ने अकेले चुनाव लड़कर 2014 में झामुमो को 19 सीट दिलाई, जबकि 2009 के चुनाव में उनके पिता के नेतृत्व में पार्टी ने 18 सीटें जीती थीं।

गौरतलब है कि को आये चुनाव परिणामों में विपक्षी गठबंधन ने 81 सदस्यीय विधानसभा में 47 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया था, जबकि बीते 24 दिसंबर को बाबूलाल मरांडी के झारखंड विकास मोर्चा ने भी अपने तीन विधायकों का समर्थन उनकी सरकार को बिना शर्त देने की घोषणा कर दी।

गठबंधन में जहां झामुमो को 30 सीटें जीतने में सफलता मिली है वहीं कांग्रेस ने 16 और राजद ने एक सीट जीती है। सत्ताधारी भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि 2014 के चुनावों में उसे 37 सीटें मिली थीं और उसके सहयोगी आजसू को पांच सीटें मिली थीं। इस बार के चुनावों में आजसू ने अलग से उम्मीदवार उतारे जिसका खामियाजा उसके साथ भाजपा को भी उठाना पड़ा। आजसू को इन चुनावों में 53 सीटों पर उम्मीदवार उतार कर सिर्फ दो सीटें जीतने में सफलता मिली।

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