
लॉक डाउन के बीच मुस्लिम समुदाय के लिए रमजान का महीना काफी महत्वपूर्ण ।
विजय कुमार शर्मा की कलम से बगहा प,च,बिहार
इस रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम समाज के लोग पूरे एक महीने खुदा की इबादत करते हैं. मुसलमान समुदाय दिन में पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं, कुरान की तिलावत और दिन में रोजा रखते है. तड़के सहरी और शाम को सूरज ढलने के बाद एक इफ्तार करते हैं. इसके अलावा मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान में तरावीह की विशेष नमाज को सामूहिक रूप में अदा करते हैं।
24 अप्रैल को संध्या चाँद दिखने के बाद 25 अप्रैल से शुरू होने पर संभावित रमजान का रोजा शुरू होने पर लॉक डाउन के बीच घर में ही तरावीह नमाज पढ़ने की जरूरत है इबादतों वाला रमजान महीना ऐसे वक्त में पड़ रहा है जब देश कोरोना वायरस संक्रामण जैसी महामारी से जूझ रहा है। बुजुर्गों का कहना है कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब मुस्लिम समुदाय के लोग लॉकडाउन के बीच रमजान मनाएंगे। ऐसे में आवश्यक है कि रमजान पर भी पांच वक्त की नमाज, कुरआन की तिलावत के अलावा इफ्तार तरावीह की विशेष नमाज अपने-अपने घरों में ही अदा की जाएगी । मस्जिदों में सामूहिक रूप से न तो इफ्तार किया जाएगा और न ही तरावीह का नमाज अदा की जाएगी सभी लोगों से आपसी भाईचारा बनाए रखने, सभी जाति वर्ग के लोगों की सहायता करने और अफवाहों से दूर रहने की गुजारिश की आवश्कता है।
रोज़ा बंदे और रब का निजी और ज़ाती मुआमला है इस में कोई रुकावट नहीं, बंदा उस को इख़लास के साथ रब को राज़ी व खुश करने का ज़रीया बनाए
हाँ माक़ूल ख़दशात ख़त्म होने के बाद से आज तक तरावीह में उम्मत का मामूल मसाजिद में बाजमाअत और ज़्यादा-तर क़ुरआन ख़त्म करने का रहा
लेकिन हालिया इन दिनों में कोरोना वाइरस संक्रमण जैसे मुतअद्दी और ल-इलाज मर्ज़ ,उस की वजह से लॉकडाउन, और दीन आसानी का नाम है, इस में मिलने वाली रियाइत से फ़ायदा उठाना अल्लाह को पसंद भी है, वक़्त की ज़रूरत भी और ख़ुद इस्लाम और मुस्लमानों के उमूमी मुफ़ाद और मस्लिहत का तक़ाज़ा भी मुस्लिम समुदाय के लिए रमजान का महीना बरकतों का महीना माना जाता है।इस पवित्र महीने में मुस्लिम समाज के लोग अल्लाह की इबादत करते हैं।ऐसे में हमारे देश के प्रधानमंत्री ने कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए लॉक डाउन की अवधि को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया है।इस अवधि के दौरान मुसलमानों का पवित्र रमजान का महीना 25अप्रैल से शुरू हो रही है।रमजान माह में धार्मिक स्थलों पर इबादत,इफ्तार आदि पर कोरोना से बचाव के लिए रोक लगा दी है।मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिदों नहीं जा सकेंगे।ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने के लिए मुसलमानों को शुरुआती हफ्ते का रोजा लॉकडाउन के बीच ही रखना होगा और तरावीह की नमाज पढ़ने से लेकर बाकी इबादत भी अपने-अपने घरों से करनी होगी।रमजान के महीने में भी लॉकडाउन के नियमों का पूरी तरह से पालन करें।किसी भी तरह की इफ्तारी मस्जिद में ना भेजें मस्जिद में 5 से 7 लोग ही रहें और इफ्तारी भी अपने घर से ही लेकर आए।इससे ज्यादा लोग मस्जिद आने की कोशिश ना करें।अगर कोई भी न समझ इफ्तार पार्टी करता है तो समझदार लोग इफ्तार पार्टी में कतई शामिल ना हो बल्कि उसे ऐसा करने से रोकें।यही समझदारी का सबूत है।
ध्यान रहे कि घरों में भी किसी भी तरह की जमात बनाकर इमाम को घर बुलाकर तरावीह के लिए लोग इकट्ठा ना हों।ऐसा करना लॉक डाउन के खिलाफ है।दुनिया भर के तमाम मुस्लिम देशों ने व मुस्लिम धर्मगुरुओं के द्वारा मुस्लिम समुदाय से अपने-अपने घरों से नमाज पढ़ने और इबादत करने की अपील लगातार की जा रही है।कोरोना जैसी महामारी से देश व दुनिया को बचाने के लिए अल्लाह से खास दुआ करें रमजान के महीने में जो लोग मस्जिद में इफ्तारी भेजते थे वे इस साल मस्जिद के बजाय जरूरतमंदों के घर पहुंचाएं।रमजान में इफ्तार पार्टियां करने वाले इसकी रकम से गरीबों को राशन बांटें रोजेदार ये तय करें कि कोई किसी भी समुदाय का हो वो इंसान भूखा ना रहे।जिन लोगों पर जकात फर्ज है वे जकात निकाल कर गरीबों में जरूर बांटें।
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