
अपनो ने छोड़ा गैरो ने अपनाया मानवता हुई शर्मसार लोकलाज के भय से कलयुगी मां ने फेंका नवजात को मिला ममता का छांव
शनिवार, 11 अप्रैल 2020
विजय कुमार शर्मा के कलम से प,च,बिहार
पश्चिमी चंपारण जिले के मझौलिया थाना क्षेत्र अंतरगत गुरचुरवा गांव स्थित माई स्थान के समीप से ग्रामीणों ने रोने की आवाज सुन लावारिस हालत में फेंका गया गेंहू के खेत से एक नवजात शिशु को पाया नवजात शिशु बिलख बिलख कर रो रहा थाजिस नवजात के मिलनेसे इलाके में तरह तरह की बात को लेकर चर्चा की माहौल से सनसनी फैल गई वही मानवता का परिचय देते हुए ग्रामीण ने उसे तुरंत अपनाकर मानवता का परिचय देते हुए नवजात शिशु को पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मझौलिया में ले गए तथा पुलिस को सूचना दी गई पीएचसी के चिकित्सक डॉक्टर हेमंत पांडे ने बताया कि लगभग आठ माह का नवजात शिशु बिल्कुल स्वस्थ है जिसे ग्रामीणों ने लाया है यह बात चारों तरफ आग की तरह फ़ैल गयी। लोगों में तरह तरह की बात को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है ग्रामीणों का कहना है कि किशी कलयुगी माँ ने लोकलाज के भय से उसे जन्म देकर फेंक दिया है। यह किसी के पाप का फल है। कहा जाए तो एक तरफ जहां इस नवजात को कलयुगी मां ने अपने कोख में पालकर मानवता को शर्मसार करते हुए फेंक दिया क्या उस नवजात बच्चे की क्या गलती थी कि जिस कलयुगी मां ने अपने कोख में आठ पाली महीने के बच्चे को जन्म देकर गेहूं के खेत में फेंक गई तो दूसरी तरफ।गांव के ही एक ग्रामीण दम्पत्ति ने शिशु को ममता का छांव दिया जिसकी चर्चा चहु ओर हो रही है कि छत्रछाया देकर यह सिद्ध कर दिया है कि मारने वाले से बचाने वाला ज्यादा महान होता है। किसी ने सच ही कहा है जाके राखे साइयां मार सके ना कोई जिस ग्रामीण ने ममता की छाया में उक्त शिशु को गोद ले लिया है इसको लेकर गांव में चर्चा का विषय बना हुआ है।