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कोरोना लॉकडाउन : झारखण्ड सब से अधिक बेरोजगार राज्य बना

कोरोना लॉकडाउन : झारखण्ड सब से अधिक बेरोजगार राज्य बना

कोरोना लॉकडाउन : झारखण्ड सब से अधिक बेरोजगार राज्य बना

*रांची* : कोरोना ने झारखंड में आधे से अधिक लोगों के रोजगार को ग्रास बना लिया है। देश में सबसे अधिक बेरोजगार लोगों का हिस्सा झारखंड के समाज में हो गया है। मई महीने में बेरोजगारी देश में सबसे अधिक 59.2 फीसदी पर पहुंच गई है। इसके साथ ही झारखंड में बेरोजगारी के पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए हैं। आर्थिक विश्लेषकों के प्रसिद्ध थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनीटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी की ओर से मई के बाद जारी ताजा आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है।


सीएमआईई की रिपोर्ट को अगर जमीनी हकीकत के करीब माने तो झारखंड में कोरोना काल के दो महीनों अप्रैल और मई में 50.5 फीसदी लोग बेरोजगार हो गए हैं। मार्च में झारखंड में बेरोजगारी का आंकड़ा 8.2 फीसदी था। अप्रैल में यह 38.9 फीसदी बड़कर 47.1 फीसदी और मई में 59.2 फीसदी तक हो गया है। झारखंड में राष्ट्रीय औसत 22.5 फीसदी के मुकाबले ढाईगुना से भी अधिक बेरोजगारी है। पड़ोसी बिहार में यह 46.2 फीसदी ही है। उत्तर प्रदेश में यह 20.8 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 11.3 फीसदी और ओड़िशा तथा पश्चिम बंगाल में क्रमश: 9.6 फीसदी और 17.4 फीसदी है। झारखंड में बेरोजगारी के आंकड़ों के इस भयावह स्तर पर चले जाने के पीछे प्रदेश में लगातार लौट रहे प्रवासी मजदूरों के हुजूम को कारण बताया जा रहा है। रिवर्स माइग्रेशन से प्रदेश में आ रहे कार्यबल के पूरे हिस्से में रोजगार देने में हो रही देरी भी इसका एक पक्ष है।

*ग्रामीण बेरोजगारी भी सबसे अधिक, शहरी में दूसरे नंबर पर*

झारखंड ग्रामीण बेरोजगारी के मामले में भी देश के सबसे ऊंचे पायदान पर चला गया है। मई में झारखंड की ग्रामीण बेरोजगारी 55.1 फीसदी आंकी गई। जो राष्ट्रीय औसत 21.6 फीसदी के मुकाबले ढाईगुने से भी अधिक है। यहां तक कि पड़ोसी बिहार भी इस मामले में झारखंड से अच्छी स्थिति में है। बिहार के गांवों में बेरोजगारी केवल 47.3 फीसदी है। पड़ोसी उत्तर प्रदेश में यह 16.9 फीसदी है। पश्चिम बंगाल में यह 18.4 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 7.6 फीसदी और ओड़िशा में 9.4 फीसदी है। शहरी बेरोजगारी के मामले में झारखंड पुडुचेरी के 75 फीसदी के बाद 70.2 फीसदी के साथ देश में दूसरे नंबर पर है। यहां भी भारत के 24.2 फीसदी की तुलना में झारखंड में लगभग तिगुना शहरी बेरोजगारी है। बिहार में शहरी बेरोगारी 37.9 फीसदी है।

*खेती का सीजन खत्म, उद्योग-धंधे बंद*

झारखंड में छलांग लगाती बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण मजदूरों के रिवर्स माइग्रेशन के अलावा खेती के सीजन का खत्म हो जाना भी है। धान की रोपाई लगभग हो चुकी है। दूसरे फसलों में रोजगार की कोई बड़ी संभावना नहीं है। नहीं तो मजदूरों की बड़ी संख्या को इसमें खपाया जा सकता था। इसके अलावा उद्योग-धंधे के अधिकतर बंद होने के कारण पहले से कार्यरत लोग भी घर बैठे हैं। स्वरोजगार वालों की भी लॉकडाऊन के कारण ऐसी ही स्थिति है। निर्माण परियोजनाओं के भी पूरी तरह से नहीं शुरू हो पाने के कारण दिहाड़ी मजदूरों के भी काम के लाले पड़े हैं।

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