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एक कदम महिला सशक्तिकरण की ओर : मनोज टेंभरे

एक कदम महिला सशक्तिकरण की ओर : मनोज टेंभरे

आदर्श ठाकरे, ब्यूरो चीफ
Mo.7723084586



जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 11 के सदस्य प्रतिनिधि, युवा मोर्चा जिला उपाध्यक्ष मनोज टेंभरे की ने दिनांक 21/03/2023 को वारासिवनी में हो रहे कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण के बारे  में  महिलाओं के हित के लिए बताया कि 
अपने सपने पुरे तथा अपनी निजी स्वतंत्रता और स्वयं के फैसले लेने के लिए महिलाओं को अधिकार देना ही महिला सशक्तिकरण है। समाज और परिवार के हित में फैसले, अधिकार, विचार, आदि सभी पहलुओं से महिलाओं को अधिकार देना तथा उन्हें स्वतंत्र बनाना ही महिला सशक्तिकरण का रूप है। 

समाज में सभी क्षेत्रों में पुरुष और महिला दोनों को बराबर का सम्मान देना और दोनों को बराबर का दर्जा देना महिला सशक्तिकरण का उदेश्य है। देश, समाज और परिवार के उज्वल भविष्य के लिए महिला सशक्तिकरण बेहद जरुरी है। महिलाओं को स्वच्छ और उपयुक्त पर्यावरण की जरुरत है जहाँ वो हर क्षेत्र में अपना फैसला, विचार प्रस्तुत कर सकें चाहे वो स्वयं, देश, समाज या परिवार के लिए हो। देश को पूरी तरह से विकसित बनाने तथा विकास में आगे बढ़ने के लिए महिला सशक्तिकरण बेहद जरुरी है।

प्राचीन समय से ही महिलाए देश का गौरव है:

श्री मनोज टेंभरे ने महिलाओं के हित को ध्यान में रखते हुए बताया कि  भारत एक ऐसा प्रसिद्ध देश है, जहाँ प्राचीन समय से ही अपनी सभ्यता, संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा, धर्म और भौगोलिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है। वही दूसरी ओर, ये अपने पुरुषवादी राष्ट्र के रुप में भी जाना जाता है। भारत में महिलाओं को पहली प्राथमिकता दी जाती है हालाँकि समाज और परिवार में उनके साथ बुरा व्यवहार भी किया जाता है तथा उन्हें निचा दिखाया जाता है। आज महिला को घरों की चारदीवारी तक ही सीमित रहती है और पारिवारिक जिम्मेदारीयों के लिए बस समझा जाता है। उन्हे अपने अधिकारों और विकास से बिल्कुल अनजान रखा जाता है। भारत के लोग इस देश को माँ का दर्जा देते है लेकिन माँ के असली अर्थ को कोई नहीं समझता।

महिलाओं को सबसे पहले प्राथमिकता : पूजा मनोज टेंभरे 
भारत में अशिक्षित की संख्या में महिलाएँ सबसे अव्वल है। नारी सशक्तिकरण का असली अर्थ तब समझ में आयेगा जब भारत में उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाएगी और उन्हें इस काबिल समझा जाएगा कि वो हर क्षेत्र में स्वतंत्र होकर फैसले कर सकें। भारत में महिलाएँ हमेशा परिवार के बीच में होती है, और उचित शिक्षा और आजादी के लिए उनको कभी भी मूल अधिकार नहीं दिये गये। महिला वो पीड़ित है जिन्होंने पुरुषवादी देश में हिंसा और दुर्व्यवहार को झेला है। 
भारतीय सरकार के द्वारा शुरुआत की गयी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय मिशन के अनुसार वर्ष 2011 जन गणना में इस कदम की वजह से कुछ सुधार आया। इससे महिला लिगांनुपात और महिला शिक्षा दोनों में बढ़ौतरी हुई। वैश्विक लिंग गैप सूचकांक के अनुसार, आर्थिक भागीदारी, उच्च शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के द्वारा समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए भारत में कुछ ठोस कदम की जरुरत है।


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