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लंपी वायरस का कहर :

लंपी वायरस का कहर :

राकेश बिसेन
लालबर्रा
जिले के 404 ग्रामों के मवेशी बीमारी से ग्रसित, पशु चिकित्सा विभाग ने तेज किया वैक्सीनेशन


बालाघाट में गौवंश को हो रही लंपी बीमारी ने 404 ग्रामों के मवेशियों को अपनी चपेट में लिया है। हालांकि लंपी बीमारी घोषित नहीं होने के बावजूद लक्षण नजर आने पर पशु चिकित्सा विभाग ने विगत 18 अप्रैल को लंपी बीमारी से ग्रसित ग्रामों में युद्ध स्तर पर उपचार प्रारंभ करवाकर काफी हद तक लंपी बीमारी पर नियंत्रण पा लिया है।


हालांकि अभी नये प्रकरण कम ही सामने आ रहे है लेकिन लंपी बीमारियों का फैलाव और ना बढ़े, इसके लिए डेढ़ लाख वेक्सीन के मिलने के बाद गौवंश को बीमारी से बचाव के लिए युद्धस्तर पर वैक्सीनेशन भी प्रारंभ करवा दिया गया है।

पशु चिकित्सा विभाग उपसंचालक श्री अतुलकर की माने तो लगभग जिले में लंपी बीमारी को कंफर्म करने के लिए 97 सैंपल, जांच के लिए भेजे गये है। श्री अतुलकर ने बताया कि चूंकि बीमारी अभी डिक्लेयर नहीं हुई है, इसलिए सैंपल जांच किया जाना जरूरी है, हालांकि जिले में गौवंश पर लक्षण पाये जाने के बाद हमने उपचार प्रारंभ करवा दिया है और स्वस्थ्य पशु को बीमारी से बचाव को लेकर वैक्सीनेशन में करवा दिया है।


आंकड़ो की माने तो जिले में लगभग साढे 6 से सात लाख पशु है, जिसमें सभी प्रकार के पशु शामिल है। जिसमें अब तक 75 से 80 हजार गौवंश का वैक्सीनेशन विभाग करवा चुका है। विभाग का मानना है कि यदि वरिष्ठ स्तर से जिले को और वैक्सीन प्राप्त हो जाती है, तो सारे पशुओं का वैक्सीनेशन करवा दिया जाएगा। 
जिले में लंपी बीमारी से फिलहाल अभी मौत का आंकड़ा सामने नहीं आया है, लेकिन विभाग की माने तो अब तक केवल 13 गौवंश की मौत ही लंपी बीमारी से हुई है।

लंपी बीमारी को लेकर कलेक्टर के निर्देश का नहीं हो रहा पालन, सड़कों पर नजर आ रहे गौवंश :

जिले में लंपी बीमारी को लेकर कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा द्वारा पशु बाजार, जिले में पशुओं का आवागमन सहित सड़कों पर विचरण करने वाले पशुओं को सार्वजनिक स्थानों पर आने से प्रतिबंध लगाए जाने के निर्देश दिए गए थे। जिसमें पशु बाजार तो लग ही नहीं रहे है, वहीं आवागमन भी बंद पड़ा है, लेकिन शहरों से आवारा पशुओं का घूमना बंद नहीं हो सका है।

चूंकि सड़कों पर आवारा घूमने वाले मवेशियों में लंपी बीमारी के लक्षण देख गये है। जिसे पशु चिकित्सा विभाग ने भी स्वीकार किया है, लेकिन पशु चिकित्सा विभाग के पास ऐसा कोई अमला नहीं है कि वह सड़कों पर आवारा पशुओं के विचरण को रोक सके।



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