प्रथम स्वतंत्रता सेनानी अमर क्रांतिकारी शहीद बाबा तिलका मांझी के जन्मदिन दिवस में उन्हें नमन कर याद किया गया।
रविवार, 11 फ़रवरी 2024
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शिक्षा विभाग के अधिकारियों के रूप में मनोज टुडू एवं मनोहर सोरेन को पदभार दिया गया।
भानुमित्र संवाददाता।
हज़ारीबाग रविवार को यंग ब्लड आदिवासी समाज सह ऑल संथाल स्टूडेंट यूनियन की बैठक बिरुआ कॉलोनी में रखी गई जिसकी अध्यक्षता मिसिल किस्कू एवं संचालन ऑल संथाल स्टूडेंट यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष मनोज टुडू ने की। यंग ब्लड आदिवासी समाज सह ऑल संथाल स्टूडेंट यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष मनोज टुडू ने कहा कि आज 11 फरवरी को प्रथम स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद बाबा तिलका मांझी का जन्म दिवस उसे नमन कर याद किया गया। और कहां गया कि बाबा तिलका मांझी को स्वतंत्रता प्रथम स्वतंत्रता सेनानी की उपाधि मिलना चाहिए क्योंकि यह प्रथम युद्ध में ही अंग्रेजों की नींव हिला दी थी। आदिवासियों के साहसी जुनूनी युद्ध को इतिहास के पन्नों में दबाया गया जिसे दर्शाने की आवश्यकता है युवा अपने साथी महापुरुषों को जानने का अवसर प्राप्त हो सके साथ ही साथ उसके उसके जीवन चरित्र की अच्छाइयों को ग्रहण करने की आवश्यकता है।
इनका जीवन परिचय से छात्राओं को अवगत कराया। अमर शहीद बाबा तिलका मांझी का जीवन परिचय(1750-1785)
जन्म 11 फरवरी 1750 ई को भागलपुर जिला के सुलतानगंज थाना अंतर्गत तिलकपुर गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था पिता का नाम सुंदर मुर्मू एवं माता का नाम पानू मुर्मू था। झारखंड की अस्मिता तथा अंग्रेजों के हुकूमत के दौरान हो रहे शोषण अत्याचार भूमि लूट आदि की परेशान आदिवासियों ने ईस्ट इंडिया कंपनी खिलाफ विद्रोह किया एवं स्वतंत्रता की चेतना की बीज बोया। अमर शहीद बाबा तिलकामांझी के आंदोलन मुक्ति आंदोलन-बनियारी जोरी ग्राम से मुक्ति आंदोलन के चिंगारी फूंक कर पूरे भागलपुर तथा संथाल परगना के बड़े भूभाग को विदेशी शासन से मुक्ति के लिए अभियान का दीप प्रज्वलित किया इसमें तिलका मांझी के नेतृत्व में लोग संगठित होने लगे विदेशी शासको को कर, लगान ना देने की शपथ ली। यह मुक्ति आंदोलन चार चरण में भागलपुर जिले के अलग-अलग भागों में चलाया गया जहां स्वतंत्र भारत की प्रथम परिकल्पना का उदय हुआ। तिलका मांझी पर मुकदमा एवं सजा - सन 1785 ईस्वी में आमने-सामने की लड़ाई के समय में तिलकामांझी को पकड़ा गया बंदी बनाए गए ।और उसे फांसी की सजा सुनाई गई, बरगद पेड़ पर 6 दिसंबर 1785 ई को फांसी पर झूला दिया गया तिलकामांझी बिना साहसी योद्धा की तरह अंग्रेजों के साथ डेल्टा से युद्ध किया और साहस एवं मुस्कुराते हुए फांसी पर झूल गए बाद में तिलका मांझी को इस बरगद के पेड़ के नीचे दफन दिया गया।मिशिल किस्कु ने कहा कि वर्तमान समय में भी आदिवासियों को अपने हक अधिकार को प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है जैसे हमारे पूर्वज अपनी जमीन जल जंगल जमीन को बचाने के लिए संघर्ष क्या करते थे। वर्तमान समय में आदिवासियों को सारना धर्मकोड के लिए भी हमारे पूर्वजों ने लंबा समय से संघर्ष किया है और अभी भी जारी है अब पूरा विश्वास है कि हमें सरना धर्म कोड जरूर मिलेगा। नवीन सोरेन ने कहा कि वर्तमान समय में आदिवासियों को प्रत्येक क्षेत्र से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा वर्तमान मैट्रिक के एग्जामिनेशन फॉर्म में आदिवासियों के लिए अन्य धर्म कोड हुआ करता था उसे भी हटा दिया गया है जो की बहुत गलत बात है मजबूरन आदिवासियों को विभिन्न धर्म में सम्मिलित होने के लिए विवश किया जा रहा है अप्रत्यक्ष रूप से जो कि स्वतंत्र भारत में सभी धर्म का सम्मान होना चाहिए सभी लोगों का हक अधिकार मिलना चाहिए। बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया- प्रत्येक दिन सोमवार से शनिवार तक शाम 6:00 बजे से व्यक्तित्व विकास,मांदर प्रशिक्षण और संथाली लिपि -ओलचिकी लिपि अंग्रेजी कंपटीशन , साथ ही साथ सभी जनजातियों के नेक नियम भाषा रीति रिवाज का क्लास बिरुवा कॉलोनी हजारीबाग में में चलाई जाएगी इसकी जानकारी यंग ब्लड आदिवासी समाज एवं ऑल संथाल स्टूडेंट यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष मनोज टुडू ने दी। कला संस्कृति विभाग के पदाधिकारी के रूप में नवीन सोरेन को नियुक्त किया गया। खेल विभाग के पदाधिकारी के रूप में रवि हेंब्रम निलेश सोरेन एवं सागर सोरेन को नियुक्त किया गया। शिक्षा विभाग के पदाधिकारी के रूप में मनोज टुडू एवं मनोहर सोरेन को पदभार दिया गया। इस बैठक में मुख्य रूप से यंग ब्लड आदिवासी समाज सह ऑल संथाल स्टूडेंट यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष मनोज टुडू किस्कु,नवीन सोरेन ,रवि हेम्ब्रोम, निलेश सोरेन ,सागर सोरेन ,राहुल सोरेन, पेरू सोरेन, उमेश सोरेन, राजेश मुर्मू ,रॉकी सोरेन, रविंद्र हेंब्रम, राहुल हेंब्रम एवं उपस्थित थे।
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