धनबाद : धनबाद जिले में एक भी बालू का वैध घाट नहीं है। पांड्राबेजरा को छोड़ कर इसके बावजूद बालू माफिया से हर दिन बेरोकटोक धड़ल्ले धनबाद के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों पर हर दिन सैकड़ों हाईवा व हजारों ट्रैक्टर व ४०७ वाहन बालू ढोते देखा जाता है। सूचना के मुताबिक ना सिर्फ ग्राम पंचायत, बल्कि बंगाल व अन्य दूसरे जिलों के चालान पर भी सर्वाधिक बालू का अवैध क्षेत्र के बेजरा, पोलकेरा, घुरनीबेड़ा, सिजुआ, सर्रा, मैथन, पंचेत नदी घाट व महुदा के जिससे राज्य सरकार को हर माह क उठाव टुंडी, पूर्वी टुंडी व निरसा र्व तेलमच्चो घाट से की जा रही है। - र्व कजिले की विभिन्न नदियों, घाटों त से बालू का उठाव कर रहे हैं। र - ■ा ई लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। एक अनुमान के मुताबिक जिले में हर दिन सैकड़ों हाईवा व हजारों ट्रैक्टर अवैध बालू की खपत व तस्करी हो रही है। यहां बालू की कीमत हर सप्ताह बढ़ रही है।मार्केटिंग हो रही है। २४ से बढ़कर ४५ रुपये सीएफटी बालू ब्लैक मार्केट में मिल रहा है। रियलस्टेट से जुड़े कारोबारियों के मुताबिक बंगाल से भी बालू धनबाद आ रहा है। बंगाल के बालू में चालान तो होता है। लेकिन, जिस थाना से बालू का ट्रक गुजरता है, वहां टोकन मनी देना पड़ता है। इसके कारण बालू की कीमत दो गुणी हो जाती है। बालू की कीमत बढ़ने से रियलस्टेट प्रभावित हुआ है। कई प्रोजेक्ट के काम बंद हो गये हैं तो कई धीमी गति से चल रही है। बालू के कारण प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ गया है, लेकिन, आज भी तीन साल पहले की दर पर फ्लैट की बिक्री हो रही हैं। बालू के इस अवैध कारोबार में खनन विभाग, परिवहन कार्यालय व स्थानीय पुलिस- प्रशासन के मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है। धंधे से जुड़े लोग बताते है कि इसमें सभी का हिस्सा फिक्स होता है। जो हर माह उन्हें वेतन की तरह बालू तस्करों के सिंडिकेट के द्वारा पहुंचा दिया जाता है। यही कारण है कि बालू तस्करों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई नहीं होती है। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती हैं।
0 Response to "धनबाद के शहरी और ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर हर दिन सैकड़ों ट्रक, हजारों ट्रैक्टर और 407 गाड़ियां बालू माफिया की रोक-टोक के बिना बालू ढोते नजर आती हैं।"
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