डॉ अमृता कर्णेश्वरी ने विदुर चरित्र, भक्त ध्रुव की कथा भक्त प्रह्लाद की कथा, नाम की महिमा को बताया
रविवार, 4 मई 2025
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सिंदरी। कथा के तीसरे दिन मध्य प्रदेश से आई आस्था भजन सत्संग चैनल की प्रवक्ता डॉ अमृता कर्णेश्वरी जी ने विदुर चरित्र, भक्त ध्रुव की कथा, भक्त प्रह्लाद की कथा, नामकी महिमा को बताया। विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक संदेश भी दिये, जैसे कि बच्चों को बचपन से ही धर्म और आध्यात्म का ज्ञान देना और माता - पिता की सेवा करना व तंबाकू व शराव जैसे व्यसनो से दूर रहना चाहिए।
देवी जी ने ध्रुव व विदुर चरित्र की कथा का प्रसंग सुनाया। देवीजी ने कहा कि अगर ध्रुव पांच साल की उम्र में भगवान को पा सकते हैँ, तो फिर हम कैसे पिछड़ सकते हैं। अगर सच्चे मन से भगवान की भक्ति की जाए, तो भगवान खुद अपने भक्तों से मिलने पहुंच जाते है।
वहीं विदुर प्रसंग में भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम की व्याकुलता के बारे में उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण विदुरजी की कुटिया में भोजन करने गए और वहां केले के छिलकों का भोग स्वीकारा। इससे पहले वे दुर्योधन के महल में छप्पन भोग का त्याग कर आए थे। भगवान तो प्रेम के भूखे होते हैं और विदुर - विदुरानी ने भगवान को प्रेम से भोजन करवाया तो उन्होंने केले के छिलके भी प्रेम से खा लिए। कथा के दौरान कथावाचिका ने श्रद्धालुओं के समक्ष श्रीस्टि वर्णन के प्रसंग को भी विस्तार से सुनाया।
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